दिवंगत संगीतकार वाजिद खान (Wajid Khan) की पत्नी कमलरुख खान (Kamalrukh Khan) ने अपने अंतजार्तीय विवाह के बाद कथित तौर पर अपने ससुराल वालों द्वारा उन्हें धर्मांतरण के लिए दबाव डाले जाना का दावा किया है. इस खुलासे के बाद अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने उनका समर्थन किया है. कमलरुख ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में खुलासा किया है कि कैसे, वाजिद की मौत के बाद भी अब तक उनके ससुराल वालों ने कथित तौर पर इस्लाम में धर्मांतरण के लिए उन्हें परेशान करना जारी रखा, इसी कारण उनके पति के जीते जी उनका रिश्ता भी बर्बाद हुआ.
कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने रविवार को अपने सत्यापित अकाउंट से ट्वीट कर कमलरुख के दावे पर प्रतिक्रिया दी.
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कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने लिखा, 'पारसी इस राष्ट्र में वास्तविक अल्पसंख्यक हैं, वे आक्रमणकारियों के रूप में नहीं आए, बल्कि वे सीखने वाले के रूप में आए थे और धीरे-धीरे भारत माता के साथ उनका प्रेम हो गया. उनकी छोटी आबादी ने इस राष्ट्र की सुंदरता-वृद्धि और अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दिया है.'
दिवंगत संगीतकार की पत्नी का पक्ष लेते हुए कंगना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक सवाल किया कि हमारा राष्ट्र पारसी जैसे अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा कैसे कर रहा है. अभिनेत्री ने लिखा, 'वह मेरे दोस्त की विधवा है जो एक पारसी महिला है, जिसे उनके परिवार द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए परेशान किया जा रहा है. मैं पीएमओ इंडिया से पूछना चाहती हूं कि जो अल्पसंख्यक ड्रामा, सुर्खियां बटोरने, दंगे और धर्मांतरण की सहानुभूति नहीं रखते, हम उनकी रक्षा कैसे कर रहे हैं? पारसियों की संख्या आश्चर्यजनक तौर पर कम हुई है.'
उन्होंने आगे लिखा, 'भारत को एक मां के रूप में प्रकट किया जाता है, जो बच्चा सबसे अधिक नाटक गलत तरीके से करता है उसे सबसे अधिक ध्यान और लाभ मिलता है. और जिसे सबसे अधिक देखभाल की जरूरत है और योग्य है वह चुपचाप रह जाता है .. आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है.' गौरतलब है कि दिवंगत संगीतकार के निधन के छह महीने बाद उनकी पत्नी ने यह खुलासा किया है.
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कमलरुख ने आगे लिखा कि, वाजिद की असामयिक मृत्यु के बाद भी उनके परिवार से उत्पीड़न जारी है. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, 'मैं अपने बच्चों के अधिकारों और विरासत के लिए लड़ रही हूं, जो उनके द्वारा हड़प लिए गए हैं. यह सारी चीजें सिर्फ इसलिए हो रही हैं, क्योंकि मैंने उनके कहे अनुसार इस्लाम धर्म नहीं अपनाया. इतनी गहरी जड़ें नफरत की कि किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद भी यह खत्म नहीं हुई. मैं वास्तव में इस धर्मांतरण विरोधी कानून का राष्ट्रीयकरण करना चाहती हूं, यह मेरे जैसी महिलाओं के लिए संघर्ष को कम करेगा, जो अंतजार्तीय विवाह में धर्म की विषाक्तता से लड़ रही हैं.'
Source : IANS