बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (kangana Ranaut) के कार्यालय तोड़े जाने के मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) के वकील प्रदीप थोरात ने अदालत में कहा कि वे निजी कारणों की वजह से सुनवाई में शामिल नहीं हो सके. अब कोर्ट उन्हें बुधवार को सुनेगा. इसके बाद बीएमसी (BMC) के वकील ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. अब कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़ मामले में 5 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
बीएमसी की ओर से वकील अनिल साखरे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया. बीएमसी ने इस हलफनामा में कहा कि मुंबई पुलिस के खिलाफ ट्वीट के बाद कंगना का दफ्तर नहीं तोड़ा गया, यह कंगना के वकील का यह बयान गलत है. ट्वीट करने से चार घंटे पहले ही बीएमसी की टीम कंगना के कार्यालय में पहुंची थी.
बीएमसी के वकील ने दावा कि कंगना रनौत के खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई की गई, इसका कोई सबूत उन्होंने नहीं दिया है. यह आरोप लगाना आसान है, साबित करना मुश्किल. कंगना को कोर्ट में आकर विटनेस बॉक्स में खड़े होकर सबूत देना चाहिए था. हमें क्रॉस एग्जामिनेशन का मौका मिलता.
बीएमसी के वकील ने आगे कहा कि कंगना रनौत को सिविल केस दर्ज करना चाहिए था. कंगना ने आर्टिकल 226 के तहत केस दाखिल किया था, जिसे हाई कोर्ट को अस्वीकार कर देना चाहिए था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा, जब निर्माण बन रहा था तब बीएमसी के अफसर क्या कर रहे थे? सितंबर में इतनी जल्दबाजी कर के निर्माण क्यों तोड़ा गया? कोर्ट ने पूछा, आपने पहले कहां के निर्माण को बढ़ाया गया है, जो कोई भी रास्ते से जाने वाला देख सकता है. जब यह काम हो रहा था तब आपके अफसर कहां थे?
इसके बाद संजय राउत के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का इस तोड़फोड़ कार्रवाई से कोई लेना देना नहीं है. कोई धमकाया नहीं गया. कंगना का साथ मीडिया दे रही है. इस पर कोर्ट ने पूछा कि आपका कानून क्या है (यहां पर जज ने न्यूज नेशन के इंटरव्यू का आधार लिया).
इस पर संजय राउत के वकील ने कहा कि कंगना ने कहा था कि महाराष्ट्र सुरक्षित नहीं है. कंगना के यह कहने के जवाब में राउत ने यह बात कही. कोर्ट ने कहा कि कंगना की इस बात से कोर्ट भी सहमत नहीं है. हम सब महाराष्ट्रीयन है और हमें इसका गर्व है पर क्या (कंगना की बातों पर) ऐसा रिएक्शन देना चाहिए था?
Source : News Nation Bureau