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पुण्यतिथि: इन सदाबहार गानों के जरिए आज भी जिंदा है किशोर कुमार

'जिंदगी एक सफर है सुहाना', 'एक लड़की भीगी भागी सी', 'मेरे महबूब कयामत होगी', 'फिर सुहानी शाम ढली', 'आने वाला पल', 'मेरे दिल में आज क्या है..' समेत तमाम हिट गाने देने वाले किशोर आज भी अपनी आवाज के जरिए सभी के दिलों में जिंदा हैं.

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Vineeta Mandal
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पुण्यतिथि: इन सदाबहार गानों के जरिए आज भी जिंदा है किशोर कुमार

Kishor kumar death anniversary

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अभिनेता, गायक, लेखक, कंपोजर, निर्माता और निर्देशक.. तमाम खासियत एक शख्स में, जी हां यहां बात हो रही है बॉलीवुड के सदाबहार किशोर कुमार की. आज उनकी पुण्यतिथि है. 'जिंदगी एक सफर है सुहाना', 'एक लड़की भीगी भागी सी', 'मेरे महबूब कयामत होगी', 'फिर सुहानी शाम ढली', 'आने वाला पल', 'मेरे दिल में आज क्या है..' समेत तमाम हिट गाने देने वाले किशोर आज भी अपनी आवाज के जरिए सभी के दिलों में जिंदा हैं.

1. कलाकार फिल्म का गाना 'नीले नीले अंबर' आपको आज भी गुनगुनाने पर मजबूर कर देगा. इस गाने को कल्याणजी और आनंदजी ने कम्पोज किया है. यह गाना किशोर दा के हिट गानों में शुमार है.

2. फिल्म 'अराधना' का 'मेरे सपनों की रानी' जब भी कभी कानों में पड़ता है, तो इस गाने को बिना गुनगुनाये नहीं रहा जाता. राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर की सुपरहिट जोड़ी ने इस गाने में चार चांद लगाने का काम किया.

3. 1979 में फिल्म 'मंज़िल' का गाना 'रिमझिम गिरा सावन'. बारिश के दिनों में यह गाना आज भी गुनगुनाया जाता है.

4. किशोर कुमार की सदाबहार आवाज का जादू है कि आज भी दुनिया उनके गीतों को गुनगुनाती है. उन्होंने न सिर्फ अपनी गायकी से हिन्दी फिल्मों को बुलंदियों पर पहुंचाया बल्कि कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपनी आवाज दी. 1968 में आई सुपरहिट कॉमेडी फिल्म 'पड़ोसन' का गाना 'मेरे सामने वाली खिड़की में' लोग खूब गुनगुनाते हैं.

5. उस दौर में शायद ही कोई संगीतकार ऐसा था, जो किशोर से गाने गवाने की हसरत ना रखता हो. किशोर की आवाज का जादू गाने में जान डाल देता था. 1958 में आई 'चलती का नाम गाड़ी' का गाना 'एक लड़की भीगी भागी सी' के बोल मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा है वही एस डी बर्मन ने इस गाने को कंपोज़ किया है.

6. 1973 में आई फिल्म 'ब्लैकमेल' का मशहूर 'पल पल दिल के पास' गाना आज भी हिट लिस्ट में शुमार है. कल्याणजी और आनंद जी द्वारा कंपोज़ किये इस गाने के बोल राजेंद्र कृष्ण ने लिखे है.

7.  राजेश खन्ना और वहीदा रेहमान की सुपरहिट जोड़ी का जादू 1970 में आई फिल्म 'ख़ामोशी' के गाने में खूब चला था. 'वो शाम कुछ अजीब थी' को हेमंत कुमार ने कम्पोज किया वहीं इस गाने के बोल गुलज़ार साब ने अपनी कलम से उतारे.

किशोर कुमार को पहली बार 1948 में बनी फिल्म 'जिद्दी' में गाने का मौका मिला. इसमें उन्होंने देव आनंद के लिए गाना गाया था. 1940 से 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान उन्होंने 574 से ज्यादा गाने गाए। बंगाली, मराठी, असमिया, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भाषाओं में गाया था. उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते.

Source : News Nation Bureau

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