किशोर कुमार एक ऐसा सितारा जिसकी आवाज आज भी लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों में बसी है. आज यानी 4 अगस्त को बर्थडे है. दिल को सुकून देने वाली उनकी आवाज कई फिल्मी स्टार्स की आवाज भी बनी. अपने संगीत करियर में उन्होंने करीब 1500 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी. मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्मे किशोर दा का असली नाम आभाष कुमार गांगुली हैं. उनके पिता कुंजीलाल जिले के बहुत बड़े वकील थे. किशोर कुमार अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे.
किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि बचपना में किशोर की आवाज बैठी रहती थी. उनकी आवाज को सुनकर कोई ये नहीं कह सकता था कि वह आगे चलकर फेमस सिंगर बनेगा. सिंगिंग के अलावा किशार दा ने फिल्मों में भी काम किया. ऐसा भी कहा जाता है कि वह तब तक कोई फिल्म साइन नहीं करते थे जब तक कि उस फिल्म का चेक अमांउट उन्हें न मिल जाए, भले ही वह अमाउंट एक रुपया ही क्यों न हो.
वह बचपन में कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना खाते और दोस्तों को भी खिलाते थे. किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पांच रुपये बारह आना उधार हो गए और कैंटीन मालिक उन्हें उधारी चुकाने को कहता तो वह कैंटीन में बैठकर टेबल पर गिलास और चम्मच बजा-बजा कर पांच रुपया बारह आना गा-गा कर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे. बाद में उन्होंने अपने इस गीत का खूबसूरती से इस्तेमाल किया, जो काफी हिट हुआ.
निर्माता निर्देशक शक्तिसामंत की साल 1969 में आई फिल्म 'आराधना' ने किशोर कुमार को गायकी की दुनिया का बेताज बादशाह बना दिया. हिंदी गानों के अलावा किशोर कुमार ने बंगाली, मराठी, गुजरती, कन्नड़, मलयालम, भोजपुरी और उर्दू में भी गाने गाए हैं.
बतौर गायक किशोर कुमार को 'रूप तेरा मस्ताना...' गाने के लिए पहले फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया. किशोर कुमार ने अपनी जिंदगी में चार शादियां की थी. उनकी पहली पत्नी रुमा देवी थी, लेकिन आपसी अनबन के कारण उनका तलाक हो गया. इसके बाद उन्होंने मधुबाला के साथ शादी रचाई, जिसके लिए उन्होंने अपना धर्म भी बदल लिया था और अपना नाम 'करीम अब्दुल' रख लिया.
1987 में किशोर कुमार ने फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौटने का निर्णय लिया था, लेकिन 13 अक्तूबर 1987 को किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया से विदा हो गए.