तमिलनाडु की राजनीति में फिल्मों का कनेक्शन हमेशा से रहा है। फिर चाहे वह जयललिता के गुरू एमजीआर हो या फिर डीएमके के मुखिया एम. करूणानिधि।
जी हां, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करे करुणानिधि ने अपने करियर की शुरू फिल्मों के लेखन से की थी। साल 1947 में उन्होंने ज्यूपिटर्स फिल्म के साथ 'राजाकुमारी' की कहानी लिखी थी। जिसके लिए उन्होंने काफी सराहना भी पाई।
इसी फिल्म तमिल सिनेमा के महान नायक एमजीआर ने बतौर नायक अपने करियर की शुरूआत की थी।
तमिल सिनेमा में लेखक और स्क्रिप्ट राइटर रहे करुणानिधि ने राजनीति में कदम रखने से पहले 'पराशक्ति' जैसी फिल्मों के लेखन से अपने विचारों को रखना शुरू कर दिया था। 1952 की इस सुपरहिट फिल्म से शिवाजी गणेशन ने अपना डेब्यू किया था।
बहुत कम लोगों को इस बारे में जानकारी है कि राजनीति में भले ही एकदूसरे के खिलाफ रहने वाले एमजीआर के फिल्मी करियर को बढ़ावा देने में करुणानिधि की अहम भूमिका रही है।
'कलईगनर' के नाम से अपने समर्थकों के बीच पापुलर रहे करुणानिधि को उनके डॉयलॉग्स की वजह से तमिल सिनेमा में एक खास पहचान मिली थी।
इसे भी पढ़ें: एम. करुणानिधि के जीवन की 5 बड़ी बाते जो नहीं जानते होंगे आप
करुणानिधि ने ज्यादातर विधवा पुनर्विवाह, छुआछूत, जमींदारी का खात्मा, धर्म के नाम पर अंधविश्वास जैसे सामाजिक मुद्दो पर कहानी लिखी। इस तरह के संदेशों वाली करुणानिधि की दो अन्य फ़िल्में पनाम और थंगारथनम थीं।
निर्देशन मणिरत्नम ने करुणानिधि पर 'इरूवर' फिल्म बनाई थी। इसी फिल्म से ऐश्वर्या राय ने फिल्मी में दुनिया में अपना कदम रखा था। इस फिल्म को दो राष्ट्रीय पुरुस्कारों से नवाजा गया था।
करुणानिधि ने ऐतिहासिक शो 'रामांजुर' के लिए साल 2016 तक डॉयलॉग लिखने का काम किया। 64 साल के फिल्मी करियर में करुणानिधि ने 69 फिल्मों में काम किया है।
Source : News Nation Bureau