सदाबहार गानों के बेताज बादशाह किशोर कुमार आज भी लोगों के दिल में जिंदा है। वह गायक ही नहीं संगीतकार और लेखक भी थे। हिंदी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजरती, कन्नड़, मलयालम, भोजपुरी और उर्दू में भी उन्होंने अपनी आवाज से लोगों का दिल जीत लिया था।
हरफ़नमौला अंदाज़ की गायकी के मालिक किशोर कुमार की नकल करने की बहुत से लोगों ने कोशिश की, मगर कोई उस जगह तक पहुंच नहीं पाया। 'जिंदगी एक सफर है सुहाना', 'एक लड़की भीगी भागी सी', 'मेरे महबूब कयामत होगी', 'फिर सुहानी शाम ढली', 'आने वाला पल', 'मेरे दिल में आज क्या है' जैसे गाने देने वाले किशोर कुमार के गाने आज भी सदाबहार हैं।
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उनका का एक बहुत पॉपुलर सॉन्ग है, 'पांच रुपया बारह आना'। जो अपने तरह का एक नया गाना था, जिसकी धुन का राज एक बहुत मजेदार कहानी है।
दरअसल इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में अपनी पढ़ाई के दौरान कैंटीन का बिल चुकाने की बजाय किशोर टेबल पर गिलास और चम्मच बजा-बजा कर पांच रुपया बारह आना गा-गा कर कई धुन निकालते थे।
खैर पढ़ाई के दौरान किशोर ने भले ही कैंटीन का बिल ना चुकाया हो, मगर इस गाने के सफल हो जाने के बाद उन्होंने ब्याज सहित अपने कैंटीन के बिल को चुकाया।
किशोर कुमार की 13 अक्टूबर, 1987 को मुंबई में हार्ट अटैक से मौत हो गई। जिसके बाद वो अपने फैन्स की आंखों में आंसू और कानों में कभी न मिटने वाले गूंजते तराने छोड़ गए।
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Source : News Nation Bureau