सुरो की कोकिला लता दीदी (Lata Mangeshkar)का निधन हो गया है. लता दीदी को लेकर एक किस्सा मशहूर हुआ था. दरअसल, लता जी के सबसे चर्चित गाने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' को पहले दीदी ने गाने से मना कर दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने इसे अपनी आवाज दी, जिसे पढ़ने के बाद वो खुद रो पड़ी थी. वहीं जिस किसी ने इस गाने को सुना वो हर किसी ने आंसू बहाए. इस गाने को शब्द कवि प्रदीप ने दिए थे. और उनकी चाहत थी कि दीदी ही इसे आवाज दें.
ऐ मेरे वतन के लोगों -
आपको बताते चले कि 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाने को कवि प्रदीप ने जब लिखा तो उन्होंने तभी सोच लिया था कि वो इस गाने को दीदी से ही आवाज दिलवाएंगे. लेकिन किसी बात के चलते दोनों के बीच मतभेद हो गया था. इसके बाद प्रदीप जी ने लता दीदी को मनाया और आखिरकार दीदी ने ही इस अपनी आवाज दी. कहा जाता है कि कवि प्रदीप के दिमाग में इस गाने के बोल तब आए जब वो मुंबई माहीम बीच पर टहल रहे थे. उस वक्त उनके पास ना पेन था और ना ही कागज. ऐसे में उन्होंने पास से गुजर रहे अजनबी से पेन मांगा और सिगरेट के एल्यूमिनियम फॉयल पर लिखा.
यह भी जानिए - लता दीदी की लाडली बहना आशा भोसले यूं करती थी जिद, सुनकर होगी हैरानी
भारतीय लीजेंड्री सिॆंगर लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) अब इस दुनिया में नहीं रही. उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत हमारे भारतीय सीनेमा को दिए. जिसे शायद कोई भी भूल नहीं सकता. लता दीदी कई दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की आईसीयू में एडमिट थी. लेकिन शनिवार को उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई थी. जिसके चलते लता दीदी को एग्रेसिव थेरेपी दी जा रही थी. ताकि हालत में सुधार हो सके. लेकिन अब सुरो की सम्राज्ञी अब इस दुनिया को छोड़ गई हैं. अब वो सिर्फ हमारी यादों और दिलों में ही जिंदा रहेंगी.