धारा 377: समलैंगिकता के फैसले पर फिल्म 'अलीगढ़' के लेखक ने दिया ये बयान

अपूर्व ने ही सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में से एक 'अलीगढ़' की कहानी, पटकथा और संवाद लिखे थे।

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
धारा 377: समलैंगिकता के फैसले पर फिल्म 'अलीगढ़' के लेखक ने दिया ये बयान

फिल्म अलीगढ़ (फाइल फोटो)

Advertisment

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म-संपादक अपूर्व असरानी का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के व्यस्कों के बीच समलैंगिकता को अपराध न करार दिए जाने के फैसले से बहुत खुश हैं। असरानी धारा 377 के खिलाफ मुखरता से आवाज उठाने वालों में शामिल रहे हैं। धारा 377 (Section 377) गे-सेक्स को अपराध मानती थी। असरानी ने कहा, 'जबसे मैंने यह खबर सुनी है, तब से मेरे आंसू रुक नहीं रहे हैं। 71 साल बाद ज्यादातर भारतीयों ने पूरी आजादी पाई है। एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय आखिरकार मुक्त हो गया। सच्ची इच्छाओं को दबाने और फिर आपराधिक मामले के डर में एक अरसा सा बीत गया है। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के अच्छे न्यायाधीशों ने सम्मान और गरिमा के साथ हमारे लिए बात की। अब कानून हमारे साथ है।'

उन्होंने कहा, 'हालांकि अभी समाज को अपनी मानसिकता बदलने में थोड़ा समय लगेगा, कम से कम अब हमारे पास परेशान या भेदभाव का शिकार होने पर कानूनी सहारे तक की पहुंच तो होगी। मैं उन सभी लोगों के प्रति बहुत आभार व्यक्त करता हूं जो इस दिन के लिए निरंतर लड़ रहे थे।'

ये भी पढ़ें: 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर करण जौहर ने कहा- finally! देश को ऑक्सीजन वापस मिली

अपूर्व ने ही सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में से एक 'अलीगढ़' की कहानी, पटकथा और संवाद लिखे थे। यह फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर रामचंद्र सिरस की जिंदगी पर आधारित थी, जिन्हें समलैंगिक होने के कारण विश्वविद्यालय से निकाल दिया जाता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है।

Source : IANS

Aligarh LGBTQ+ का मतलब homosexuality Section 377 Apurva Asrani
Advertisment
Advertisment
Advertisment