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'नर्क' जैसे रहे Madhubala के आखिरी नौ साल, तड़पने के बावजूद थी जिंदा रहने की चाह

मधुबाला (Madhubala) अपने जमाने में खूबसूरती के लिए जानी जाती थी. वो अदाकारा तो कमाल की थी ही, लेकिन उनकी खूबसूरती हर किसी को उनका कायल बना देती थी. लेकिन आप इस बात से अंजान होंगे कि उनके आखिरी 9 साल किसी नर्क से कम नहीं रहे. फिर भी...

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Pallavi Tripathi
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दर्द भरे रहे मधुबाला के आखिरी साल( Photo Credit : @madhubala.forever Instagram)

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मधुबाला (Madhubala) अपने जमाने में खूबसूरती के लिए जानी जाती थी. वो अदाकारा तो कमाल की थी ही, लेकिन उनकी खूबसूरती हर किसी को उनका कायल बना देती थी. उन्होंने अपने जमाने में 'मुगल-ए-आजम', 'हावड़ा ब्रिज', 'महल', 'बरसात की रात', 'चलती का नाम गाड़ी' जैसी बेहतरीन फिल्में दी. जो आज भी लोगों को पसंद आती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मधुबाला के शुरुआती और बाद के दिन जितने शानदार रहे. आखिरी समय में दिन उतने ही बुरे रहे. मधुबाला (Madhubala) की हालत तो ये हो गई थी कि उनके शरीर में केवल हड्डियां ही बची थी. लेकिन फिर भी उनके अंदर जीने की चाह कम नहीं हुई थी, जो उन्हें बार-बार जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करती थी. 

 
 
 
 
 
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A post shared by Mumtaz Jehan Begum Dehlavi 🌹 (@madhubala.forever)

आपको बता दें कि आज ही के दिन सन् 1969 में मधुबाला (Madhubala) इस दुनिया को अलविदा कह गई थी. उनके फैंस आज भी उन्हें याद करते हैं. मधुबाला की बहन मधुर भूषण ने अपनी बहन के आखिरी दिनों के बारे में बात करते हुए कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. जिन्हें सुनकर शायद आपकी आंखें नम हो जाएं. मधुर बताती हैं कि जब मधुबाला साल 1954 में फिल्म 'चालाक' (Chalaak) की शूटिंग के लिए मद्रास पहुंची थी, उस दौरान पता चला कि उनके दिल में छेद है. ऐसे में डॉक्टर ने उन्हें तीन महीने तक बेड रेस्ट करने की सलाह दी. लेकिन मधुबाला ने फिल्म की शूटिंग जारी रखी. जिससे पता चलता है कि वो अपने काम के प्रति कितनी जुझारू थी. 

वहीं, फिल्म 'मुगल-ए-आजम' (Mughal-e-Azam) की शूटिंग के दौरान उनकी हालत बद से बद्तर होती गई. जहां उन्हें बेड़ियों में बंधकर शूटिंग करना होता था. ऐसे में जंजीर के जकड़ने की वजह से उनके हाथ नीले पड़ जाते थे. इतना ही नहीं, वो फिल्म में जेल में बंद कैदी की तरह दिखने के लिए सेट पर खाना भी नहीं खाया करती थी. इस दौरान उनकी हालत देखकर डॉक्टर ने कह दिया था कि वे केवल 2 साल जिंदा रहेंगी. दिवंगत अदाकारा की बहन बताती हैं कि उनके शरीर में खून की मात्रा इतनी बढ़ गई थी कि उनके नाक और मुंह से भी खून आने लगा था. दरअसल, मधुबाला (Madhubala) को दिल में छेद होने के अलावा और भी कई गंभीर बिमारियां थी. अगर उन्हें 4-5 घंटे में ऑक्सीजन न दिया जाता, तो उनकी सांस फूलने लगती थी. मधुबाला इसी हालत में करीब नौ साल तक बिस्तर पर पड़ी रही. 

उनका शरीर महज हड्डियों के ढांचे जैसा हो गया था. ऐसे में वो जब भी खुद को देखती तो रो पड़ती. इतना ही नहीं, वो कहती कि उन्हें मरना नहीं है, जिंदा रहना है, डॉक्टर इस बीमारी का इलाज कब निकालेंगे. मधुर आगे बताती हैं कि वो आखिरी बार अपनी बहन से मिल भी नहीं पाई थी. जब उन्हें खबर मिली कि मधुबाला अब जिंदा नहीं रह पाएंगी. जिसके बाद जब तक वो मधुबाला (Madhubala) के पास पहुंची, वो हार्ट अटैक के चलते इस दुनिया से जा चुकी थी. 

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