मलयालम सिनेमा (Malayam Cinema) के सुपरस्टार ममूटी आज अपना 71 वां जन्मदिन मान रहे हैं. वो साउथ इंडस्ट्री का एक जाना माना चेहरा हैं उन्हें आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है. उन्हें इस इंडस्ट्री में 50 से ज्यादा साल हो गए हैं. उन्होंने अब तक 400 से ज्यादा फिल्में की हैं. ममूटी एक जबरदस्त एक्टर हैं. ममूटी एक ऐसे सुपरस्टार हैं जो स्टेज पर जब परफार्म करते थे तो थोड़ी देर के लिए ऑडियन्स भी भूल जाती है कि वो एक फिल्म देख रहे हैं, रियल घटना नहीं. वहीं आज हम आपको एक्टर के जन्मदिन पर उनके जीवन जुड़ी कुछ खास बातें और उनकी कुछ सुपरहिट फिल्मों के बारे में बताते हैं. एक्टर ने साल 1987 में आई उनकी फिल्म 'नई दिल्ली' में शानदार एक्टिंग की है. ममूटी ने फिल्म में जी कृष्णमूर्ति की भूमिका निभाई.
बाबासाहेब अम्बेडकर से जीता था अवार्ड
वहीं 1987 में उनकी फिल्म थानियावर्तनम आई थी. ये फिल्म ए.के. लोहितदास द्वारा लिखित और सिबी मलयिल द्वारा निर्देशित है, स्कूल शिक्षक बालन मैश (ममूटी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका एक मानसिक रूप से बीमार चाचा है.वहीं 2000 में आईं डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर में हिंदी-अंग्रेजी बायोपिक में, ममूटी ने मुख्य भूमिका निभाई और प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय समाज सुधारक के रूप में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, जिन्होंने उत्पीड़ितों की मदद की. उन्होंने इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था.
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2005 में उन्हें राजमानिक्यम में देखा गया. जिसे कई भाषाओं में रीमेक किया गया था, मलयालम बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म का प्रदर्शन टॉप पर रहा. बता दें बेल्लारी राजा के रूप में ममूटी ने एक अमीर आदमी की कहानी में एक अद्भुत हास्य पक्ष का प्रदर्शन किया था. वहीं ममूटी के करियर की अगर बात करें तो एर्नाकुलम लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद भी उन्होंने वहां दो साल वकालत की प्रैक्टिस की थी. लेकिन उसके बाद उन्होंने बीच में ही वकालत छोड़ दी और फिल्म Anubhavangal Paalichakal से अपने करियर की शुरुआत की.