मनोज बाजपयी इंडस्ट्री के मंझे हुए कलाकारों में से एक हैं. वो इस तरह के एक्टर हैं जो मरी से मरी फिल्म में भी अपनी एक्टिंग से उम्मीद जगाए रखते हैं और अगर सब कुछ ही ए-वन तो गर्द उड़ाने से कोई रोक नहीं सकता. चाहे उन्हें गैंगस्टर बना लो या फैमिली मैन...मनोज हर अंदाज में 100 पर्सेंट देते हैं और यही वजह है कि एक आउट साइडर होते हुए भी वे आज इंडस्ट्री में अपनी जड़ें मजबूत कर चुके हैं. आज एक जाना पहचाना नाम बन चुके मनोज कभी अपने नाम से खुश नहीं थे. नाम से जुड़ा यह किस्सा उनकी बयोग्राफी में है.
मनोज ने किताब में कहा “मैंने सोचा था कि अपना नाम बदलूंगा. मैंने अपने लिए एक नया नाम समर सोच लिया था. थिएटर के वक्त नाम बदलने के बारे में सोचा तो सबने कहा कि एक एफिडेविट बनवाना पड़ेगा. अखबार में ऐड देने होंगे. यह लीगल प्रोसेस थी. उस वक्त पैसे नहीं तो ये प्लान पोस्टपोन हो गया. फिर मैने सोचा कि जब मैं पैसे कमाऊंगा, तब नाम बदल लूंगा. ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए जब पैसा मिला तो सोचा कि अब नाम बदलता हूं. लेकिन तब मेरे भाई ने कहा कि यार कमाल करते हो. पहली फिल्म में नाम दिखेगा मनोज बाजपेयी और बाद में कुछ और नाम? तो मैंने सोचा कि अब जो हो गया बॉस हो गया".
जब पिता को पता चला तो क्या हुआ...
एक बार जब मनोज के पिता को एहसास हुआ कि उन्हें अपना नाम पसंद नहीं और वे बदलना चाहते हैं तो एक दिन उन्होंने मनोज को अपने पास बुलाया और कहा कि उन्हें ये नाम नहीं बदलना चाहिए. मनोज ने किताब में बताया, “जब मैं नाम बदलने की सोच रहा था, तब एक बार मेरे पिता ने मुझसे कहा कि नाम मत बदलना, मैंने बहुत प्यार से तुम्हारा नाम रखा है.” बता दें कि मनोज के पिता राधाकांत बाजपयी मनोज कुमार के बड़े फैन थे. उन्हीं के नाम पर बेटे का नाम मनोज रखा था.