सुरों के सरताज महान फनकार 'मोहम्मद रफी' का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था. मोहम्मद रफी का आज 95वां जन्मदिन है. तीन दशक से के करियर में उन्होंने कई सुपरहिट गाने गाए. कव्वाली, सूफी, रोमांटिक और दर्दभरे गानों में रफी का कोई भी सानी नहीं है और न होगा. अपने गायिकी के करियर में अनगिनत हिट देने वाले रफी ने एक ऐसा भी गाना गाया था जिसे गाते वक्त उनके मुंह से खून आ गया था.
जी हां, बैजू बावरा का 'ओ दुनिया के रखवाले' गीत को गाने से पहले रफी ने 15 दिन तक रियाज किया था. लेकिन गाते वक्त उनकी आवाज बुरी तरह टूट गई थी. ऐसा भी कहा जा रहा था कि वह अब दोबारा कभी गा नहीं पाएंगे. लेकिन कुछ सालों बाद उन्होंने फिर इस गाने को रिकार्ड किया और पहले से ज्यादा स्केल पर इसे गाया. वहीं कुछ लोग इस बात से इनकार भी करते हैं और इसे एक अफवाह बताते हैं.
ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार किसी अपराधी को फांसी पर चढ़ाया जा रहा था. जब उससे उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उसने मोहम्मद रफी का गाना 'ओ दुनिया के रखवाले' गीत को सुनने की इच्छा जाहिर की. इस अजीब ख्वाहिश को सुनकर सभी दंग रह गए. इसके बाद टेप रिकार्डर लाकर यह गाना बजाया गया था.
निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो मोहम्मद रफी ने 2 शादियां की थी. उन्होंने अपनी पहली शादी सबसे छिपा कर रखी थी. इस शादी के बारे में सिर्फ घरवाले ही जानते थे. यह बात शायद कभी सामने सामने नहीं आती अगर मोहम्मद रफी की बहू यास्मीन खालिद की एक किताब मार्केट में न आती. यास्मीन की प्रकाशित किताब 'मोहम्मद रफी मेरे अब्बा..एक संस्मरण' में रफी की पहली शादी की बात का जिक्र किया गया है.
किताब में लिखा है कि 13 साल की उम्र में रफी की पहली शादी उनके चाचा की बेटी बशीरन बेगम से हुई थी, लेकिन कुछ साल बाद ही दोनों अलग हो गए. उनकी इस शादी से बेटा सईद हुआ था. बाद में उन्होंन 20 साल की उम्र में दूसरी शादी की थी.
फिल्म नीलकमल के सुपरहिट गीत ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’ को गाते समय रफी की रो दिए थे. ऐसा इसलिए क्योंकि गाने की रिकॉर्डिंग के ठीक एक दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी की सगाई की थी. बाद में इस गीत को नेशनल अवॉर्ड मिला था.
Source : News Nation Bureau