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72 Hoorain Trailer: सेंसर संकट के बाद भी आगे बढ़े मेकर्स, फिल्म '72 हूरें' का ट्रेलर रिलीज

फिल्म मेकर अशोक पंडित और डायरेक्टर संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म '72 हुरें' ने फिल्म लवर के बीच एक डिवाइडेशन बना दिया है. सेंसर बोर्ड ने फिल्म के ट्रेलर को सिनेमाघरों में रिलीज करने पर रोक लगा दी, जिसके बाद फिल्म को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज किया गया.

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Garima Sharma
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72 hoore trailer( Photo Credit : 72 hoore trailer)

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फिल्म मेकर अशोक पंडित और डायरेक्टर संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म '72 हुरें' ने फिल्म लवर के बीच एक डिवाइडेशन बना दिया है.  4 जून, 2023 को इसका टीज़र रिलीज़ होने के बाद से ही फिल्म विवादों में आ गई. ये फिल्म आतंकवाद, धर्म परिवर्तन और ब्रेन वाश करने कर मासूम लोगों से गलत काम करने वाले पर आधारित है. फिल्म '72 हुरें' के ट्रेलर को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफाइड करने से इनकार कर दिया है, जिससे अशोक पंडित नाराज हो गए हैं. वहीं फिल्म के को-प्रोडूसर ने कहा कि ट्रेलर की डिजिटल रिलीज के साथ आगे बढ़ेंगे.

ट्रेलर में दो लोगों का ब्रेनवॉश करते दिखाया गया है

ट्रेलर में आतंकवाद और उग्रवाद को दिखाया गया है. प्रोमो में दो मासूम लोगों को दिखाया गया है जिनका एक मौलवी अपने जीवन का बलिदान देने के बाद स्वर्ग और 72 हूरों के बारे में बताकर उनका ब्रेनवॉश करता है. '72 हुरें' के ट्रेलर में एक विवाद से भरी कहानी दिखाई गई है. ट्रेलर की शुरुआत दिवंगत पाकिस्तानी अभिनेता रशीद नाज़ को मौलवी इस्लामी कानून में एक विशेषज्ञ या शिक्षक के रूप में पेश करने से होती है, जो 72 हुरों के बारे में बात करते दिखता है. इसके बाद पवन मल्होत्रा को हकीम के रूप में और आमिर बशीर को बिलाल के रूप में स्वर्ग में केवल धर्म के सच्चे अनुयायियों को दी जाने वाली फुर्सत और 72 हूरों का दावा करते हुए देखे जाता हैं. 

यह भी पढ़ें- '72 हूरें' के ट्रेलर पर सेंसर का संकट, बोर्ड ने ट्रेलर पास करने से किया इनकार

मरने के बाद के जिंदगी के बारे में चर्चा करते हैं दोनों एक्टर

दोनों एक ऊंचे टॉवर पर बैठते दिखते हैं और मरने के बाद के जिंदगी के बारे में चर्चा करते हैं. बम विस्फोटों और आतंकवादी हमले के सीन दिखाए जाते हैं. प्रोमो का अंत आतंकवादियों के दो शवों को पानी में फेंके जाने के साथ होता है और हाकिम और बिलाल इसे देखते हैं. बाद में पता चलता है कि वे दोनों एक आतंकवादी हमले में मारे गए. क्योंकि वे अपने लक्ष्य के लिए ह्यूमन बम बनने के लिए सहमत हो गए थे. विस्फोटों और खून से भरे रास्ते के सीन भयावह हैं, और मौलवी के रूप में रशीद नाज़ के सीन 'द केरला स्टोरी' की कहानी के समान है.

Source : News Nation Bureau

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