भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह साल काफी खास माना जाएगा. RRR ने जिस तरह पूरी दुनिया में भारत का परचम लहराया है इस फिल्म को भूलना आसान नहीं होगा. पहले गोल्डन ग्लोब और अब ऑस्कर...हर तरफ इसी के चर्चे हैं. Natu Natu भारतीय फिल्मी इतिहास में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाला ऐसा पहला गाना है जो भारतीय फिल्म का है. इससे पहले 2008 में 'जय हो' को ऑस्कर मिला था लेकिन वह ब्रिटिश फिल्म का गाना था.
यह गाना पर्दे पर जितना एनर्जेटिक और एक फ्लो में बहता नजर आता है. पर्दे के पीछे इसे बनाना इतना आसान काम नहीं था. इसे बनाने में करीब 19 महीने लगे थे. यहां हम केवल गाना लिखने की बात कर रहे हैं. कंपोजर एमएम कीरवानी ने इस फिल्म के लिए 20 गाने लिखे थे. वह दिनरात इसके बारे में सोच रहे थे. तरह-तरह से कई वर्जन लिखे गए लेकिन तब कहीं जाकर नाटू-नाटू फाइनल हुआ.
पूरी टीम ने मिलकर चुना गाना
फिल्म से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नाटू-नाटू को पूरी टीम ने मिलकर चुना था. इसके लिए वोटिंग करवाई गई फिर इसके आधार पर फैसला लिया गया और नाटू-नाटू फिल्म का हिस्सा बना. आपको जानकर हैरानी होगी कि गाने का 90% हिस्सा तो आधे दिन में तैयार हो गया लेकिन बाकी बचा 10% हिस्सा पूरा करने में 19 महीने लग गए थे.
कोरियोग्राफर के लिए भी चैलेंज था नाटू-नाटू
बताया जाता है कि इस गाने ने जितने पसीने परफॉर्मेंस के समय छुड़ाए वैसा ही हाल इसकी कोरियोग्राफी के समय भी था. इसके कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित ने इस गाने के लिए 110 मूव्स प्लान किए थे. राजामौली कुछ ऐसा चाहते थे जो दो दोस्त साथ में कर सकें लेकिन इतने पेचीदा भी ना हों कि कोई इन्हें कॉपी ही ना कर पाए.
जब सब कुछ प्लान हुआ तो इसके लिए खास लोकेशन चुनी गई. इस गाने की शूटिंग यूक्रेन के प्रेजिडेंट जेलेंस्की के मारिंस्की पैलेस में हुई थी. इस गाने में 50 बैग्राउंड डांसर और 400 जूनियर आर्टिस्ट थे. इस गाने को केवल तेलुगु ही नहीं अलग-अलग भाषाओं में ट्रांसलेट कर गाया. Natu Natu हिंदी में नाचो-नाचो, तमिल में नाट्टू-कूथू, कन्नड़ में हाली नाटू और मलयालम में कारिनथोल है.
50 हजार रुपए के लिए जान देने वाले थे रक्षित!
इस गाने से धूम मचाने वाले प्रेम रक्षित आज पूरी दुनिया में पहचाने जा रहे हैं. एक समय ऐसा था जब घर की मदद के लिए वे अपनी जान देने को तैयर हो गए थे. प्रेम के पिता हीरा कारोबारी थे. 1993 में पारिवारिक मतभेदों के चलते उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. हालात ये हो गए थे कि उनके पिता फिल्मों में डांस असिस्टेंट बन गए थे. प्रेम एक टेलर की दुकान में काम करने लगे. एक दिन हालातों से परेशान होकर प्रेम आत्महत्या करने के लिए चेन्नई के मरीना बीच चले गए. उन्हें लगा कि आत्महत्या करने से डांस फेडरेशन वाले उनके परिवार को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद करेंगे.