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B'DAY Special : New York Times ने मधुबाला की तुलना मर्लिन मुनरो से की थी, 15 असाधारण महिलाओं में दी थी जगह

पिछले साल न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने नए सेक्शन 'ओवरलुक्ड' में मधुबाला के योगदान को याद किया था. न्यूजपेपर ने इस नए सेक्‍शन में गुजरे जमाने की इन महिलाओं को श्रद्धांजलि दी थी.

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Sunil Mishra
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B'DAY Special : New York Times ने मधुबाला की तुलना मर्लिन मुनरो से की थी, 15 असाधारण महिलाओं में दी थी जगह

मधुबाला और मर्लिन मुनरो (फाइल फोटो)

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अमेरिका के एक लीडिंग न्यूजपेपर ने बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा मधुबाला को दुनियाभर की 15 असाधारण महिलाओं की लिस्ट में जगह दी थी. पिछले साल न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने नए सेक्शन 'ओवरलुक्ड' में मधुबाला के योगदान को याद किया था. न्यूजपेपर ने इस नए सेक्‍शन में गुजरे जमाने की इन महिलाओं को श्रद्धांजलि दी थी. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा था, 'साल 1851 से पेपर में प्रकाशित जीवन परिचय खंड में श्वेत व्यक्तियों को प्रमुखता दी जाती थी, लेकिन अब हमने 15 असाधारण महिलाओं की कहानियां शामिल की है.

पेपर ने लिखा कि जीवन परिचय में किसी शख्स की मृत्यु से ज्यादा उसके जीवन के बारे में लिखा जाता है. उनके आखिरी शब्द, यादें और क्षेत्र में दिए योगदान को याद किया जाता है. आयशा खान ने पेपर में मधुबाला का जीवन परिचय लिखा है. इस खूबसूरत अभिनेत्री की तुलना अक्सर मर्लिन मुनरो से की गई है. बता दें कि मर्लिन मुनरो हॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस थीं.

मधुबाला के लिए न्यूजपेपर में लिखा गया है कि महज 16 साल की उम्र में अशोक कुमार के साथ वह फिल्म 'महल' में दिखीं. इसके ठीक 20 साल बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. मधुबाला का जीवन किसी फिल्म से कम नहीं था, जिसमें शानदार करियर, असफल प्रेम कहानी और अंत में गंभीर बीमारी से मौत थी.

मधुबाला का नाम हिंदी सिनेमा की उन अभिनेत्रियों में शामिल है, जो पूरी तरह सिनेमा के रंग में रंग गईं और अपना पूरा जीवन इसी के नाम कर दिया. उन्हें अभिनय के साथ-साथ उनकी अभुद्त सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. उन्हें 'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' और 'द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी' जैसे नाम भी दि गए. मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में हुआ था. इनके बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था. इनके पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था. शुरुआती दिनों में इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे. वहां से नौकरी छोड़ उनके पिता दिल्ली, और वहां से मुंबई चले आए, जहां मधुबाला का जन्म हुआ.

वेलेंटाइन डे वाले दिन जन्मीं इस खूबसूरत अदाकारा के हर अंदाज में प्यार झलकता था. उनमें बचपन से ही सिनेमा में काम करने की तमन्ना थी, जो आखिरकार पूरी हो गई. मुमताज ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1942 की फिल्म 'बसंत' से की थी. यह काफी सफल फिल्म रही और इसके बाद इस खूबसूरत अदाकारा की लोगों के बीच पहचान बनने लगी. इनके अभिनय को देखकर उस समय की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी बहुत प्रभावित हुई और मुमताज जेहान देहलवी को अपना नाम बदलकर 'मधुबाला' के नाम रखने की सलाह दी.

साल 1947 में आई फिल्म 'नील कमल' मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी. इसके बाद वह मधुबाला के नाम से जानी जाने लगीं. इस फिल्म में महज चौदह साल की मधुबाला ने राजकपूर के साथ काम किया. 'नील कमल' में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की 'सौंदर्य देवी' कहा जाने लगा.

इसके दो साल बाद मधुबाला ने बॉम्बे टॉकिज की फिल्म 'महल' में अभिनय किया और फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उस समय के सभी लोकप्रिय पुरुष कलाकारों के साथ उनकी एक के बाद एक फिल्में आती रहीं. मधुबाला ने उस समय के सफल अभिनेता अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था.

साल 1950 के दशक के बाद उनकी कुछ फिल्में असफल भी हुईं. असफलता के समय आलोचक कहने लगे थे कि मधुबाला में प्रतिभा नहीं है बल्कि उनकी सुंदरता की वजह से उनकी फिल्में हिट हुई हैं. इन सबके बाबजूद मधुबाला कभी निराश नहीं हुईं. कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद 1958 में उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा को साबित किया और उसी साल उन्होंने भारतीय सिनेमा को 'फागुन', 'हावड़ा ब्रिज', 'काला पानी' और 'चलती का नाम गाड़ी' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं.

1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली. शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए. उसी समय मधुबाला एक भयानक रोग से पीड़ित हो गई. शादी के बाद रोग के इलाज के लिए दोनों लंदन चले गए. लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं.

इसके बाद लगातार जांच से पता चला कि मधुबाला के दिल में छेद है और इसकी वजह से इनके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी. डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार मान गए और कह दिया कि ऑपरेशन के बाद भी वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी. इसी दौरान उन्हें अभिनय छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया.

साल 1969 में उन्होंने फिल्म 'फर्ज' और 'इश्क' का निर्देशन करना चाहा, लेकिन यह फिल्म नहीं बनी और इसी वर्ष अपना 36वां जन्मदिन मनाने के नौ दिन बाद 23 फरवरी,1969 को बेपनाह हुस्न की मलिका दुनिया को छोड़कर चली गईं.

उन्होंने लगभग 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. उन्होंने 'बसंत', 'फुलवारी', 'नील कमल', 'पराई आग', 'अमर प्रेम', 'महल', 'इम्तिहान', 'अपराधी', 'मधुबाला', 'बादल', 'गेटवे ऑफ इंडिया', 'जाली नोट', 'शराबी' और 'ज्वाला' जैसी फिल्मों में अभिनय से दर्शकों को अपनी अदा का कायल कर दिया.

मधुबाला भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मनोरंजन-जगत में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा. उनकी तस्वीर वाले बड़े-बड़े पोस्टर आज भी लोग बड़े शौक से खरीदते हैं.

Source : News Nation Bureau

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