स्वर कोकिला Lata Mangeshkar का हुआ स्वर्गवास, जानें उनसे जुड़ी 5 अनसुनी बातें

'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद करो कुर्बानी' गीत में अपनी आवाज से लोगों की आंखे नम करने वाली लता दीदी (Lata Mangeshkar) इस दुनिया को अलविदा कह गई हैं. ऐसे में आज हम लता दीदी की याद में आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताने वाले हैं. 

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Pallavi Tripathi
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लता मंगेशकर दुनिया को कह गई अलविदा( Photo Credit : @lata_mangeshkar Instagram)

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'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद करो कुर्बानी' गीत में अपनी आवाज से लोगों की आंखे नम करने वाली लता दीदी (Lata Mangeshkar) अब हमारे बीच नहीं रही. उन्होंने कई बेहतरीन गाने गाए. जिन्हें सुनकर लोग आज भी उस समय को जी लिया करते हैं. उनके गाने इस कदर लोगों के दिलों को छूने लगे कि उन्होंने संगीत के दुनिया की हर बुलंदियों को छुआ. ऐसे में आज हम लता दीदी की याद में आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बताने वाले हैं. 

सबसे पहले बात लता दीदी के नाम की, जो एक नन्हे बच्चे को पहचान देता है. आपको बता दें कि 28 सितंबर, 1929 को जन्मी लता दीदी का नाम उनके पिता दीनदयाल मंगेशकर ने पहले हेमा रखा था. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. अगर वो हेमा रहती तो 'लता दीदी' कैसे बनती. उनके पिता ने पांच साल की उम्र में उनका नाम बदलकर लता रख दिया. 

आपको जानकर हैरानी होगी कि लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) महज एक दिन के लिए ही स्कूल गई थी. दरअसल, हुआ यूं कि लता दीदी अपने स्कूल के पहले दिन अपनी बहन आशा भोसले को साथ ले गई. ये देखते ही उनके अध्यापक भड़क उठे और उन्हें कहा कि आशा भोसले (Asha Bhosle) की स्कूल फीस भी देनी होगी. जिसे सुनकर लता दीदी काफी आहत हुई और उन्होंने कभी स्कूल न जाने का फैसला किया. हालांकि, स्वर सम्राज्ञी को बाद में छह विश्वविद्यालयों में मानक उपाधि से सम्मानित किया गया. जिनमें न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी भी शामिल है. लता दीदी ने अपने गायन प्रतिभा को उन ऊंचाइयों पर पहुंचाया कि उन्हें भारत रत्न और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया. जिसके बाद वो फिल्म इंडस्ट्री में ये सम्मान पाने वाली पहली महिला बन गई. 

 
 
 
 
 
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बता दें कि जिन लता दीदी (Lata Mangeshkar) के आखिरी समय में उनके स्वस्थ्य होने की प्रार्थना हर कोई कर रहा था. उन्हें कभी किसी ने जहर देने की कोशिश की थी. जी हां, इस बात का जिक्र लता की बेहद करीबी पदमा सचदेव (Padma Sachdev) ने अपनी किताब 'Aisa Kahan Se Lauen' में किया. जिसमें उन्होंने बताया कि साल 1962 में उन्हें किसी ने स्लो प्वॉइजन देने की कोशिश की थी. हालांकि, आज तक पता नहीं चला कि आखिर वो कौन था.

स्वर सम्राज्ञी की बात होती है तो लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर वो जीवनभर अकेली क्यों रह गई. उन्होंने शादी क्यों नहीं की. तो बता दें कि लता दीदी (Lata Mangeshkar) ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया था. जिसमें उन्होंने बताया था कि काफी छोटी उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. ऐसे में घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई. जिसको देखते हुए उन्होंने सोचा कि पहले छोटे भाई-बहनों को उनकी लाइफ में सेटल कर दिया जाए, फिर देखा जाएगा. लेकिन फिर बहन की शादी हो गई और बच्चे भी हो गए. जिसके बाद धीरे-धीरे इसी तरह समय निकलता गया. हालांकि, एक बार उनका नाम राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह से जुड़ा था. दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी. लेकिन उनकी शादी नहीं हो पाई. इसके पीछे का कारण थी राज सिंह द्वारा अपने पिता को दी गई शर्त. जिसमें उन्होंने कहा था कि वो किसी आम लड़की से शादी नहीं करेंगे. 

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) स्वर सम्राज्ञी होने के साथ-साथ फिल्मों की भी दीवानी थी. उनकी कई फेवरेट फिल्में थी. जिनमें 'शोले', 'सीता और गीता', 'दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे', 'त्रिशूल' का नाम शामिल है. लेकिन गायिका को साल 1943 में रिलीज हुई फिल्म 'किस्मत' (Kismat) इस कदर पसंद आई कि उन्होंने इसे करीब 50 से भी ज्यादा बार देखा.  

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