तपती दोपहर में सड़क किनारे बदहवास हालत में अपने घरों को लौटते हजारों प्रवासी श्रमिकों (Migrants) को देखकर किसी ने दुख जताया तो किसी ने हमदर्दी, लेकिन सोनू सूद (Sonu Sood) ने इनके दर्द को महसूस किया और न सिर्फ इनके लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम किया बल्कि इन्हें सैकड़ों मील दूर इनके घरों तक पहुंचाने का जिम्मा भी उठाया. सोनू सूद ने मुंबई से फोन पर भाषा को बताया कि प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिए उन्होंने टोलफ्री नंबर 18001213711 लांच किया है, जिसके जरिए कोई भी व्यक्ति मदद के लिए सोनू की टीम से संपर्क कर सकता है.
सोनू कहते हैं, 'मुझे हर दिन हजारों फोन आ रहे थे. मेरे दोस्त और परिवार के लोग मदद मांगने वालों से उनका पूरा विवरण ले रहे थे, लेकिन फिर भी लग रहा था कि कहीं कुछ कमी है और ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें मदद की जरूरत है, लेकिन वह हम तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, लिहाजा हमने यह कॉल सेंटर खोलने का फैसला किया.' सोनू बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद से ही उन्होंने जरूरतमंदों को भोजन बांटने का काम शुरू किया. भोजन और किराने का सामान देने का जो सिलसिला 500 लोगों के साथ शुरू हुआ था, आज वह आंकड़ा 45,000 तक पहुंच चुका है. इनमें झुग्गी बस्तियों में रहने वाले, सड़कों पर फंसे और राजमार्गों पर पैदल चलते लोग शामिल हैं.
30 जुलाई, 1973 को लुधियाना के मोगा में जन्मे सोनू की स्कूली शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल में हुई और उन्होंने नागपुर के यशवंतराव चव्हाण कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से आगे की पढ़ाई की. फिल्मों में काम करने का शौक उन्हें एक दिन मुंबई खींच ले गया और अपनी मेहनत के दम पर वह आज अपनी एक खास पहचान बना चुके हैं. 2010 की सुपर हिट फिल्म 'दबंग' में खलनायक की अपनी भूमिका के लिए प्रतिष्ठित अवार्ड जीतने वाले सोनू का कहना है कि वह एक दिन खुद भी खाली हाथ इस माया नगरी में चले आए थे इसलिए प्रवासी श्रमिकों का दर्द खूब समझते हैं. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने का प्रण लिया है और हर दिन ढेरों बसें प्रवासी परिवारों को लेकर देश के दूर दराज के राज्यों की तरफ रवाना हो रही हैं.
सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने सोनू के इस जज्बे को सलाम किया है. उनके हजारों प्रशंसकों ने तो उनके नाम तरह तरह के संदेश भेजे ही हैं. मशहूर शेफ विकास खन्ना ने एक खास डिश बनाई है और उसे 'मोगा' नाम दिया है. कपड़ा और महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया है कि एक अभिनेता के तौर पर वह सोनू सूद के सफर की गवाह रही हैं, लेकिन एक इनसान के तौर पर इस संकट के समय में उन्होंने जो जज्बा दिखाया है वह वाकई तारीफ के काबिल है. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते 24 मार्च को देश में लॉकडाउन का ऐलान हो गया और जो जहां था वहीं थम गया. साधन संपन्न लोग अपने घरों में बंद हो गए, लेकिन रोजगार की तलाश में अपने घरों से सैकड़ों मील दूर चले आए हजारों लोग बेआसरा हो गए. ये लोग न तो मकान का किराया भरने की हालत में थे और न ही अपने परिवार का पेट. आफत की इस घड़ी में सोनू सूद जैसे बहुत से लोग और संगठन इन जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए.
Source : Bhasha/News Nation Bureau