95th Oscar Awards Ceremony में भारत ने अपना खूब दम दिखाया. दो अवॉर्ड्स भारत के हाथ लगे और देशभर के सिनेमाप्रेमियों में इस वक्त जश्न का माहौल है. 2008 के बाद यह पहली बार हुआ जब अवॉर्ड्स अनाउंस होने के बाद हर तरफ एक भारतीय फिल्म की चर्चा है. इस बार हमें गूगल नहीं करना पड़ा कि बेस्ट ओरिजन सॉन्ग का अवॉर्ड किसे मिला. किस भाषा का था. बेशक Natu Natu के लिए मुकाबला तगड़ा था लेकिन दावेदारी इतनी पक्की थी कि कोई इसे टस से मस नहीं कर पाया. ना केवल मंच पर इस गाने की धमाकेदार परफॉर्मेंस रखी गई. जब अनाउंस हुआ तो तालियों से पूरा समा गूंज उठा.
आज जिन अवॉर्ड्स की चर्चा घर-घर में हो रही है उनके बारे में कितना जानते हैं? आपको पता है कि ऑस्कर में भेजने के लिए फिल्में किस तरह चुनी जाती हैं? अगर नहीं जानते तो कोई बात नहीं क्योंकि इस खुशी के मौके पर हम आपको ऑस्कर की ABCD के बारे में बताने जा रहे हैं.
1- एकेडमी अवॉर्ड की शुरुआत कैसे हुई?
ऑस्कर अवॉर्ड को पहले एकेडमी अवॉर्ड के नाम से जाना जाता था. इसकी शुरुआत 1927 में हुई थी. अमेरिका के MGM स्टूडियो के कर्ताधर्ता लुईस बी मेयर के दिमाग में खयाल आया कि क्यों ना ऐसा अवॉर्ड शुरू किया जाए जिससे मेकर्स को मोटिवेशन मिले. इस प्लान में उन्होंने अपने तीन दोस्तों एक्टर कॉनरेड नागेल, डायरेक्टर फ्रैड निबलो और फिल्ममेकर फीड बिटसोन को शामिल किया. इसके लिए लॉस एंजलिस के ऐंबैस्डर होटल में मीटिंग बुलाई गई. इसमें हॉलीवुड के 36 सबसे नामी लोगों को बुलाया गया.
इस टीम के सामने "इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑफ आर्ट एंड साइंस" बनाने का प्रपोजल रखा गया. सभी लोग राजी हो गए और मार्च 1927 तक इसके अधिकारी चुने गए. अध्यक्ष का पद हॉलीवुड एक्टर और प्रोड्यूसर डगलस फेयरबैंक्स को मिला. 11 मई 1927 को एक शानदार पार्टी रखी गई. इसमें शामिल 300 में से 230 लोगों ने 100 डॉलर में एकेडमी की ऑफिशियल मेंबरशिप ली. शुरुआत में अवॉर्ड के लिए केवल पांच कैटेगरी रखी गई थीं. इनमें प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एक्टर, टेक्नीशियन और राइटर शामिल थे. इस कार्यक्रम का नाम एकेडमी अवॉर्ड रखा गया.
2- कैसे बनी Oscars की ट्रॉफी ?
ट्रॉफी पर अगर आपने गौर किया हो तो देखा होगा कि एक योद्धा तलवार लिए दिखता है. वह फिल्म की रील पर खड़ा है. इसके पीछे की सोच यह थी कि फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों को एक योद्धा जैसा महसूस करवाया जाए. इस ट्रॉफी का फर्स्ट लुक MGM स्टूडियो के आर्ट डायरेक्टर ने तैयार किया था. इसे फाइनल लुक मूर्तिकार जॉर्ड स्टेनले ने दिया था.
3- सोने की होती है ट्रॉफी ?
इस ट्रॉफी का वजन 3.85 किलोग्राम होता था. इसे 92.5% टिन और 7.5% तांबे से बनाकर इस पर सोने की परत चढ़ाई जाती थी. 1938 में इन मेटल्स की जनग लकड़ी ने ली. उस साल लकड़ी की ट्रॉफी बनाई गई क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के समय तांबे की कमी हो गई थी.
4- 1929 में हुए थे पहले ऑस्कर अवॉर्ड
16 मई 1929 को हॉलीवुड रूजवेल्ट होटल के ब्लॉसम रूम में पार्टी रखी गई. 270 मेहमान बुलाए गए. इस पार्टी का टिकट 5 डॉलर का था. इस सेरेमनी में ना कोई मीडिया और ना कोई दर्शक. कुल मिलाकर 15 मिनट में पूरा कार्यक्रम खत्म हो गया था.
5- किसे मिला था पहला बेस्ट एक्टर का ऑस्कर?
ऑस्कर का पहला बेस्ट एक्टर अवॉर्ड एमिल जेनिंग्स को उनकी दो फिल्मों 'द लास्ट कमांड' और 'द वे ऑफ ऑल फ्लैश' के लिए मिला था. पहली बार एमिल को दो फिल्मों के लिए अवॉर्ड दिया गया. हालांकि बाद में नियम बनाया गया कि एक आर्टिस्ट को एक ही अवॉर्ड दिया जाएगा.
6- ऑस्कर को क्यों कहते हैं ऑस्कर?
ऑस्कर का नाम 1939 में ऑस्कर पड़ा. लेकिन इस ऑस्कर नाम के पीछे भी तीन थ्योरी हैं.
थ्योरी नंबर 1- ऑस्कर अवॉर्ड की पहली महिला प्रेसिडेंट और अमेरिकन एक्ट्रेस बेट्टे डेविस का दावा था कि ऑस्कर की ट्रॉफी को पीछे से देखने पर वह उनके पति और म्यूजीशियन हार्मन ऑस्कर नेल्सन जैसी दिखती है. इसलिए इस अवॉर्ड का नाम ऑस्कर पड़ गया.
थ्योरी नंबर 2- हॉलीवुड की गॉसिप दुनिया तक पहुंचाने वालीं कॉलमिस्ट सिडनी स्कॉल्सकी का कहना था कि एकेडमी अवॉर्ड्स को ऑस्कर नाम उन्हीं ने दिया था. उन्होंने साल 1934 के एक आर्टिकल में इस अवॉर्ड के लिए ऑस्कर नाम का इस्तेमाल किया था.
थ्योरी नंबर 3- एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट एंड साइंस की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और लाइब्रेरियन मार्गेरेट हैरिक का कहना था कि ऑस्कर का नाम ऑस्कर उनके चाचा ऑस्कर के नाम पर रखा गया है.
7- ऑस्कर भेजने के लिए भारत में कैसे चुनी जाती हैं फिल्में
फिल्में चुनने के दो तरीके हैं. एक होती है ऑफीशियल एंट्री जो सरकार की तरफ से भारत की ऑफिशियल एंट्री मानी जाती है. दूसरा तरीका होता है प्राइवेट एंट्री. सरकार ऑस्कर के लिए फिल्में चुनने का प्रोसेस सितंबर में ही शुरू कर देती है. इसके लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया भारत की सभी फिल्म एसोसिएशन से एंट्री मंगवाता है. इसमें हर भाषा की फिल्में शामिल होती हैं. इसके बाद फिल्म एसोसिएशन की भेजी गई फिल्मों को जूरी मेंबर्स देखते हैं. सितंबर के आखिर तक फाइनल हो जाता है कि कौनसी फिल्म ऑस्कर जाएगी.
प्राइवेट एंट्री वाले तरीके में फिल्म मेकर खुद अपनी फिल्में एकेडमी को भेजते हैं. इस प्रोसेस से सरकार का कोई लेनादेना नहीं होता. फिल्म मेकर अपनी फिल्मों का एनालिसिस करते हैं और उसे आगे भेजते हैं.
8- क्या हैं नियम ?
आपकी फिल्म कम से कम 40 मिनट की होनी चाहिए. फिल्म अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए. यह रीजनल भाषा में हो और नीचे अंग्रेजी सब टाइटल होने चाहिए. आपकी फिल्म 33 MM या 70 MM के प्रिंट में 24 फ्रेम प्रति सेकेंड या 48 फ्रेम प्रति सेकेंड की होनी चाहिए. इसका रेजोल्यूशन 1280x720 से कम नहीं होना चाहिए.
9- ऑस्कर पहुंचने वाली भारत की पहली फिल्म कौनसी थी ?
ऑस्कर के मंच तक पहुंचने वाली भारत की पहली फिल्म 'मदर इंडिया' थी. इस फिल्म को 5 कैटेगरी में नॉमिनेशन मिले थे लेकिन कोई अवॉर्ड हासिल नहीं हुआ था.
10- ऑस्कर में भारत का दमखम
1- 1982 मैं भानु अथैया को फिल्म गांधी के लिए बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनर का अवॉर्ड मिला.
2- सत्यजीत रे को 1991 में 'ऑनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट' अवॉर्ड मिला था.
3- एआर रहमान और गुलजार साहब को 2008 में आई 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' के लिए अवॉर्ड मिला. रहमान को बेस्ट ओरिजिनल स्कोर कैटेगरी में दो अवॉर्ड मिले. दूसरा उन्होंने गुलजार के साथ शेयर किया था.
4- रेसेल पोकुट्टी को 'स्लमडॉग मिलेनियर' के लिए बेस्ट साउंड मिक्सिंग के लिए अवॉर्ड दिया गया था.