साल 2018 के बाद से हैशटैग #MeToo काफी बवाल हुआ. यौन उत्पीड़न की शिकार हुईं ढेर सारी महिलाएं सोशल मीडिया पर हैशटैग #MeToo के साथ अपनी कहानियां बयां कर रही हैं. #MeToo के जरिए दुनियाभर में कई खुलासे हुए हैं. भारत में इसका काफी प्रभाव देखने को मिला. इस हैसटैग के जरिए हॉलीवुड लेकर बॉलीवुड और पाकिस्तानी सिनेमा की कई अभिनेत्रियों ने अपने साथ हुई कई दर्दनाक घटनाओं के बारे में बताया. साथ ही सिनेमा की कई बड़ी हस्तियों पर गंभीर आरोप भी लगाए थे. अब पाकिस्तान की एक अदालत ने इस मामले पर अपना जजमेंट दिया है, जिसके बाद से हैशटैग #MeToo एक बार फिर से ट्रेंड कर रहा है. ये फैसला पाकिस्तान की मशहूर गायिका और अभिनेत्री मीशा शफी (Meesha Shafi) से जुड़ा हुआ है.
दरअसल पाकिस्तान की मशहूर गायिका और अभिनेत्री मीशा शफी (Meesha Shafi) ने हैसटैग #Metoo के जरिए पाक एक्टर अली जफर (Ali Zafar) के खिलाफ यौन शोषण और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. इस मामले के बाद एक्टर ने मीशा शफी पर मानहानि का मामला दर्ज कराया था. इसी मामले में आज पाकिस्तान की अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. पाक अदालत ने इस मामल में मीशा शफी को दोषी ठहराते हुए उन्हें 3 साल की सजा सुनाई है.
2 साल पहले पाकिस्तानी सिंगर और ऐक्ट्रेस मीशा शफी (Meesha Shafi) ने अली जफर पर छेड़खानी करने और गलत इरादे से स्टूडियो में पकड़ लेने का आरोप लगाया था. मीशा के आरोपों के जवाब में अली ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. मीशा के इन आरोपों को अली ने खारिज करते हुए उन पर ही मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था. मीशा अपने आरोपों को अदालत में साबित नहीं कर पाईं, वहीं अदालत ने आज इस मामले पर अपना फैसला सुनाते मीशा को अली जफर की प्रतिष्ठा खराब करने का दोषी माना. अदालत ने उन्हें इस मामले में 3 साल की सजा भी सुनाई है.
मीशा के आरोपों के बाद अली ने कहा था कि उनके खिलाफ ऑनलाइन कैंपेन चलाकर उनका करियर बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है और वह इस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे. वहीं मीशा शफी भी इस फैसले से काफी नाराज हैं और उन्होंने कहा है कि आज तक ऐसे मामलों में दुनियाभर में कभी किसी महिला को इंसाफ नहीं मिला है. मिशा ने कहा कि ये कैसा सिस्टम है और ऐसे केस में किस महिला को किस कीमत पर न्याय मिला है. वहीं मीशा के वकील का कहना है कि वो इस फैसले को चुनौती देने की योजना बना रहे हैं.
कब शुरू हुआ #Metoo
#MeToo हैसटैग वैसे तो शुरू किया गया था अपने साथ हुए जुल्म को बयां करने के लिए, लेकिन धीरे-धीरे ये एक आंदोलन बन गया. #MeToo की असल शुरुआत तो 2006 में हुई थी. अमेरिका की सोशल ऐक्टिविस्ट और कम्युनिटी ऑर्गनाइज़र तराना बर्क ने सबसे पहले 2006 में 'माइस्पेस' नाम के सोशल नेटवर्क पर #MeToo का इस्तेमाल किया था। ऐसा उन्होंने रंगभेद की शिकार महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की कहानी बयां करते हुए लिखा था. हालांकि ये सबसे ज्यादा प्रचलन में 2017 में आया. 16 अक्टूबर 2017 को अमेरिकी एक्ट्रेस एलिसा मिलानो ने यौन हमले और उत्पीड़न की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने #MeToo का इस्तेमाल किया.
एलिसा के इस ट्वीट का असर यह हुआ कि दिन खत्म होते-होते #MeToo के साथ दो लाख से ज़्यादा ट्वीट किए गए और 17 अक्टूबर तक 5 लाख से ज्यादा ट्वीट हो चुके थे. #MeToo की वजह से पहला सबसे बड़ा भूचाल हॉलीवुड में आया, जिसके बाद धीरे-धीरे यह म्यूज़िक इंडस्ट्री, साइंस, अकैडमिक्स और पॉलिटिक्स तक फैल गया.
भारत में तनुश्री दत्ता ने की शुरुआत
भारत में #MeToo का उपयोग सही मायनों में 25 सितंबर 2018 को शुरू हुआ. बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने एक्टर नाना पाटेकर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. तनुश्री ने एक इंटरव्यू में बताया कि साल 2008 में फिल्म 'हॉर्न ओके प्लीज' की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर ने उनका यौन उत्पीड़न किया था. तनुश्री के बाद भारत की फिल्म और टीवी इंडस्ट्री की तमाम महिलाएं आगे आईं और उन्होंने एक से एक दिग्गज कलाकारों का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने काम देने के बहाने उनका यौन उत्पीड़न किया था.
इसके लपेटे में एक्टर आलोक नाथ, पीयूष मिश्रा, डायरेक्टर विकास बहल, सुभाष घई, साजिद खान, कॉमेडियन उत्सव चक्रवर्ती, क्रिकेटर लसिथ मलिंगा, अर्जुन रणतुंगा, राइटर चेतन भगत, और बीजेपी नेता एमजे अकबर भी आ चुके हैं.
HIGHLIGHTS
- #Metoo मामले में मीशा शफी को 3 साल की सजा
- मीशा शफी ने अली जफर पर लगाए थे गंभीर आरोप
- अली जफर ने मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था