बॉलीवुड की दुनिया में अपनी दिलकश और नटखट अदाओं के लिए जानी जाने वाली एक्ट्रेस श्रीदेवी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन उनकी दमदार एक्टिंग के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. उनकी फिल्मों को लेकर फैंस की दिवानगी इस कदर है कि वो कई-कई बार उनकी फिल्में देख जाते हैं, लेकिन हर बार फिल्म में उन्हें फिल्म में वही नयापन दिखता है, जैसे पहली बार देख रहे हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी देश है, जहां लड़कों को छिपकर एक्ट्रेस की फिल्में देखनी पड़ती थी और अगर किसी ने उन्हें ऐसा करते देख लिया तो जेल में बंद कर दिया जाता था.
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इस देश में श्रीदेवी की फिल्में देखना माना जाता था गुनाह
श्रीदेवी की अदायगी के चलते करियर के शुरुआती दिनों में ही उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग थी. उस समय लोग खासतौर पर लड़के उनकी फिल्म के दिवाने हुआ करते थे. यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में लोग एक्ट्रेस की फिल्में छिप-छिपकर देखा करते थे. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या था कि लोगों को श्रीदेवी की फिल्में इस तरह छिपकर देखनी पड़ती थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक के शासन काल में पाकिस्तान में भारतीय फिल्में देखना गुनाह माना जाता था. ऐसा करने वाले लोगों को सज़ा भी भुगतनी पड़ती थी.
पाकिस्तानी संवाददाता ने किया था खुलासा
इस बात का खुलासा बीबीसी के पाकिस्तानी संवाददाता रहे वुसअतुल्लाह खान ने अपनी रिपोर्ट में किया. उन्होंने लिखा- जब वह करांची यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे, तब उन्हें एक साल बाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में कमरा मिल गया था. वो श्रीदेवी के बड़े फैन हुआ करते थे. ऐसे में उन्होंने अपने कमरे में श्रीदेवी के पोस्टर चिपका रखे थे. हालांकि, पाकिस्तान में उस वक्त भारतीय फिल्में देखना गैरकानूनी माना जाता था. पकड़े जाने पर तीन महीने की सजा दी जाती थी.
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वुसअतुल्लाह अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि सरकार द्वारा सजा मिलने के बाद भी लड़के मानते नहीं थे. वह किसी तरह श्रीदेवी की फिल्में देख ही लेते थे. जिसके लिए वह सभी मिलकर पैसे जोड़ते थे और किराये पर वीसीआर लाते थे, जिसमें एक साथ छह फिल्में देखा करते थे. इन छह फिल्मों में तीन फिल्में सिर्फ श्रीदेवी की होती थीं.
वुसअतुल्लाह ने बताया, ये वो दौर था, जब श्रीदेवी की 'नगीना', 'चांदनी', 'आखिरी रास्ता' और 'मिस्टर इंडिया' जैसी हिट फिल्में रिलीज हुई थीं. वो बताते हैं कि लड़के ऐसा करते समय हॉस्टल के हॉल के सभी खिड़की और दरवाजे खुला रखते थे, जिससे फिल्मों की आवाज़ पुलिस चौकी तक पहुंच जाए. इस तरह वो अपना विरोध जताते थे.
Source : News Nation Bureau