पॉर्न फिल्म (Pornography) बनाने के मामले में बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) के पति राज कुंद्रा (Raj Kundra) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. राज कुंद्रा को कोर्ट ने 23 जुलाई तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच के भी आदेश दिए हैं. राज कुंद्रा की गिरफ्तारी (Raj Kundra Arrested) और इस मामले के सामने आने से जहां बॉलीवुड में भी खलबली मची हुई है. इस मामले में फरवरी 2021 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने मालवाणी पुलिस स्टेशन में पोर्नोग्राफिक फिल्मों के सिलसिले में एक केस दर्ज किया था.
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जिन आरोपों के तहत राज कुंद्रा पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, 293, 420, 34 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत धारा 67, 67ए व अन्य संबंधित धाराएं लगाई गई हैं. भारतीय दंड संहिता की ये धाराएं कब लगाई जाती हैं और इसमें दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को कितनी सजा मिलती है, उसके बारे में हम आपको बताने वाले हैं.
IPC की धारा 292: इस धारा के अनुसार उस चीज को अशअलील माना जाएगा, जोकि कामुक है या कामुकता पैदा करती है. इसके कई प्रावधानों के तहत, जो ऐसी किसी भी सामग्री को बनाएगा, बेचने, किराए पर लेने, वितरित करने, या उससे लाभ प्राप्त करता है या अपने पास सुरक्षित करके रखता है उसे दंडित किया जाएगा. इसमें पहली बार अपराध सिद्ध होने पर 2 साल की जेल + 2 हजार रुपए जुर्माना की सजा होगी. दूसरी या उसके अपराध साबित होने पर दोषी को 5 साल की जेल + 5 हजार रुपए आर्थिक दण्ड दिया जाएगा.
IPC की धारा 293: भारतीय दंड संहिता की ये धारा ग्राहकों/दर्शकों की उम्र से संबंधित है. IPC की धारा 293 के अनुसार, जो कोई 20 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को कोई ऐसी अश्लील वस्तु बेचेगा, भाड़े पर देगा, वितरण करेगा, प्रदर्शित करेगा या परिचालित करेगा या ऐसा करने प्रयत्न करेगा वो अपराधी होगा. पहली बार दोष साबित होने पर 3 वर्ष की जेल, और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना लगेगा. जबकि दूसरी या उसके बाद दोषी पाए जाने पर 7 वर्ष तक जेल और 5 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है.
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IT अधिनियम में धारा 67: यह प्रावधान कहता है कि जो कोई भी प्रकाशित या प्रसारित करता है या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित करने का कारण बनता है, कोई भी सामग्री जो कामुक है या विवेकपूर्ण हित के लिए अपील करती है या यदि इसका प्रभाव ऐसा है जो भ्रष्ट करने के लिए है और भ्रष्ट व्यक्ति, जो सभी प्रासंगिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, इसमें निहित या सन्निहित मामले को पढ़ने, देखने या सुनने की संभावना रखते हैं, उन्हें दंडित किया जाएगा.
महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम 1986: ये अधिनियम कहता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित नहीं करेगा, या प्रकाशित नहीं करेगा, या प्रकाशन या प्रदर्शनी में भाग नहीं लेगा, जिसमें किसी भी रूप में महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व शामिल है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने वाले भारतीय कानूनों में विस्तृत प्रावधान हैं.
HIGHLIGHTS
- 23 जुलाई तक पुलिस रिमांड में भेजे गए राज कुंद्रा
- फरवरी में राज के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला
- पार्नोग्राफी में अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान