बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali Birthday) आज अपना 60 वां जन्मदिन मना रहे हैं. साल 1963 में मुंबई में जन्में संजय लीला भंसाली आज एक बड़ा नाम है और उन्होंने हिंदी सिनेमा को देवदाज, बाजीराव मस्तानी, हम दिल दे चुके सनम जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी हैं. लेकिन सफलता की यह राह निर्देशक के लिए आसान नहीं थी, खासकर उसके लिए जो एक शराबी पिता के साथ एक कमरे की चॉल में पले-बढ़े. लेकिन उनकी मां, लीला भंसाली (Leela Bhansali) उनके लिए चट्टान बन गईं और उन्होंने हर संभव तरीके से संजय का समर्थन करना अपने जीवन का मिशन बना लिया.
सिमी ग्रेवाल के साथ 2002 के एक इंटरव्यू में, संजय (Sanjay Leela Bhansali) और उनकी मां ने याद किया कि गुजारा करने के लिए, वे पास की एक दुकान से साड़ियां इकट्ठा करती थी और फिर उन पर सिलाई करती थी. उन्होंने कहा, “शाम को जाके साड़ी लेके आते हैं हम दुकान से और रात तक बैठके सिलाई करते हैं. कभी 4 साड़ी मिलती थी, कभी 12 साड़ी मिलती थी, कभी 24 साड़ी मिलती थी, तो वह था, हमें इसका सामना करना पड़ा. उन्होंने, एक कमरे की चॉल में रहने के बारे में भी बात की और कहा कि छोटी उम्र में भी उन्हें पता था कि उन्हें वहां से निकलना होगा. "
'मेरे ऊपर एक चूहा दौड़ता था'
संजय ने कहा, हालांकि यह कठोर लगता है, मुझे एहसास हुआ कि जब भी मैं सपना देख रहा होता था तो मेरे ऊपर एक चूहा और तिलचट्टा रेंग सकता है, आप कभी नहीं जान पाएंगे,". लेकिन उन दिनों के दौरान भी, उस घर में मुझे आनंद की एक झलक मिली. “ऐसे क्षण थे जब हम रेडियो चालू करते थे और माँ उस छोटे से घर में हमारे लिए नृत्य करती थीं. वह हमेशा खाना बनाते समय गाती और फिर हम सब उसके साथ शामिल हो जाते. हम सभी गाते और नाचते थे और मुझे लगता है कि घर में नाचती हुई मेरी मां की तस्वीर उस घर का सबसे प्यारा पल था.
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पापा से आखिरी बार पूछा था ये सवाल
संजय इंटरव्यू में अपनी मां को याद करके भावुक हो गए थे और उन्होंने अपनी मां को शुक्रिया कहते हुए कहा, इस महिला ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है. उन्होंने अपने माता-पिता के रिश्ते को उस तरह का बताया जहां उन्हें एक-दूसरे का साथ नहीं मिला. यहां तक कि अपने पिता के साथ उनका अपना रिश्ता भी “अधूरा” था. मरने से एक दिन पहले मैंने उनसे पूछा था, 'पापा, आप किसे ज्यादा प्यार करते हैं? मैं या बेला. पापा ने इसके जवाब में कहा, बेला.
संजय लीला भंसाली ने विस्तार से बताया है कि कैसे उनके पिता की शराब की समस्या ने किसी तरह देवदास बनाने के उनके फैसले को प्रभावित किया. उन्होंने कहा, “देवदास की शुरुआत मेरे पिता के मौत की बाद से हुई. वह एक शराबी थे और सिरोसिस से मर गए, ” भंसाली ने प्रसिद्ध रूप से अपनी मां का नाम अपने नाम पर एक ऐसे समाज में रखा है जहां इसे एक असामान्य प्रथा के रूप में देखा जाता है.
असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर शुरु किया था करियर
असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर संजय ने अपने करियर की शुरुआत की थी. उसके बाद देवदास, पद्मावत, ब्लैक, चंद्रमुखी से लेकर गंगूबाई जैसी कई फिल्मों को निर्देशित किया है. फिल्मी दुनिया में अपना बेहतरीन परचम लहराने के लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है. इसके साथ ही कहा जाता है वो अपने एक्टर्स से बेस्ट करवाने के बाद ही चैन की सांस लेते हैं और आलिया, दीपिका, रणबीर सहित कई एक्टर्स को उनकी बेस्ट परफार्मेंस के लिए अवॉर्ड भी दिया चुका है.