बॉलीवुड के महान कलाकार संजय मिश्रा आज 58 वर्ष के हो गए हैं. संजय मिश्रा ने अपने डॉयलाग 'ढ़ोढूं जस्ट चिल' और फिल्म 'वन टू थ्री' में अपनी कॉमिक टाइमिंग पे डॉयलाग डिलीवरी के जरिए फिल्मी जगत में अपना नाम बना लिया. ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस तरह के सपोर्टिंग रोल्स संजय मिश्रा फिल्मों में दशकों से करते आए थे, उसी रोल को उन्होंने अपनी मूवी कामयाब में लीड रोल के तौर पर पेश किया और दर्शकों के दिल में जगह बना लीं. हमेशा से फिल्मों के लीड एक्टर के साथ काम करने वाले कुछ ऐसे जाने- माने चेहरे रहे हैं जो फिल्म में एक लीड एक्टर के किरदार से कम नहीं होता. कैरेक्टर एक्टर्स की यूं तो बॉलीवुड में कमी नहीं है मगर मौजूदा समय में अगर उस लिस्ट में कोई सबसे बड़ा चेहरा है तो बिना किसी शक के वो नाम है संजय मिश्रा. संजय मिश्रा से अपनी एक्टिंग से न सिर्फ लोगों की नज़र में अपनी जगह बनाई हैं बल्कि उनकी कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग डिलीवरी के लिए उन्हें ढ़ेर सारे अवार्ड भी मिले हैं.
संजय मिश्रा के करियर की शुरुआत
संजय मिश्रा ने अपना डेब्यू फिल्म 'ओ डार्लिंग ये है इंडिया' में एक हारमोनियम बजाने वाले से किया था. 'ऑफिस ऑफिस' सीरियल के पान चबाते हुए शुक्ला जी के रोल में संजय मिश्रा की पहचान बननी शुरू हुई. 2005 में सीरियल्स को अलविदा कहने के बाद संजय मिश्रा को अमिताभ बच्चन की फिल्म बंटी और बबली में काम करने को मिला जिसके बाद 'अपना सपना मनी मनी' से उनको राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. संजय मिश्रा ने खासकर इन फिल्मों में अपनी बढ़िया अदाकारी का उदाहरण पेश किया. कामयाबी की शिखर पर पहुंचते ही साल 2015 में, आंखें देखी में संजय मिश्रा को उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड मिला.
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आखिर क्यों कहा फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा
संजय के जब पिता की डेथ हुई, तो वो एक्टिंग छोड़कर ऋषिकेश चले गए थे और वह जाकर एक ढाबे पर काम करने लगे. दरअसल संजय अपने पिता के बहुत करीब थे उनकी मौत ने उनको ऐसा झकझोरा कि वो गुमशुदा हो गए और अकेला महसूस करने लगे. संजय ने सौ से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है लेकिन उन्हें वो सफलता नहीं मिल पाई जिसके वो हकदार थे. शायद इसी वजह से ढाबे पर संजय को किसी ने पहचाना भी नहीं. दिन बीतते गए और उनका वक्त ढाबे पर सब्जी बनाने, आमलेट बनाने में कटने लगा.
कैसे हुई फ़िल्मी जगत में वापसी
संजय अपनी पूरी जिंदगी उस ढाबे पर ही काम करने में ही निकाल देते. लेकिन कहते है न कब कहा कैसे किस्मत पलट जाए कोई नहीं जनता. रोहित और संजय फिल्म 'गोलमाल' में साथ काम कर चुके थे. रोहित शेट्टी अपनी अगली फिल्म 'ऑल द बेस्ट' पर जोरो-शोरो से काम कर रहे थे कि उसी दौरान उन्हें संजय का ख्याल आया. संजय फिल्मों में लौटने को तैयार नहीं थे, लेकिन रोहित शेट्टी ही थे जिन्होंने उन्हें मनाया और फिल्म में साइन किया. इसके बाद तो सभी जानते ही हैं की फिर संजय ने कभी बॉलीवुड को अलविदा नहीं कहा.
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संजय मिश्रा का जन्म
कॉमेडियन संजय मिश्रा का जन्म 6 अक्टूबर 1963 को बिहार के दरभंगा में हुआ था. संजय के पिता शम्भुनाथ मिश्रा पेशे से जर्नलिस्ट थे और उनके दादा डिस्ट्रीक्ट मजिस्ट्रेट थे. सजंय जब नौ साल के थे तो उनकी फैमिली वाराणसी शिफ्ट हो गई थी. जिसके कारण संजय ने अपनी एजुकेशन वाराणसी से केंद्रीय विद्यालय बीएचयू कैम्पस से की. इसके बाद इन्होंने बैचलर की डिग्री साल 1989 में पूरी करने के बाद 1991 में राष्ट्रीय ड्रामा स्कूल में एडमिशन लिया और इसके बाद एक्टिंग को अपना करियर बना लिया.