सर्वोच्च न्यायालय ने कथित दुष्कर्म मामले में फिल्म 'पीपली लाइव' के सह-निर्माता महमूद फारूकी को बरी किए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को शुक्रवार को बरकरार रखा और उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर शिकायतकर्ता की याचिका खारिज कर दी। फारूकी पर एक अमेरिकी महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि 'इस मामले में फैसला बहुत अच्छी तरह से दिया गया है और इसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।'
फारूकी को निचली अदालत ने दोषी ठहराया था और कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक शोधार्थी का यौन शोषण करने के आरोप में उन्हें सात साल कारावास की सजा सुनाई थी।
उन्हें निचली अदालत ने अगस्त 2016 में दोषी करार दिया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 सितम्बर 2017 को पीपली लाइव के सह निर्देशक को मामले में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।
दुष्कर्म के आरोपों से बरी करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था, 'इसमें संदेह है कि पीड़ित द्वारा बताई जा रही घटना वास्तव में हुई थी और यदि यह हुई तो क्या यह पीड़ित के बगैर सहमति के हुई और अगर यह बिना सहमति के हुई तो क्या यह बात अपीलार्थी भी समझती थी।'
दिल्ली में 2014 के दौरान अमेरिकी महिला फारूकी के संपर्क में आई थी। वह गोरखपुर में अपने शोधकार्य के लिए संपर्को की तलाश में थी।
महिला का आरोप था कि कथित तौर पर यह घटना फारूकी द्वारा उसे अपने घर पर रात्रि के भोजन पर बुलाए जाने के दौरान 28 मार्च 2015 को हुई थी।
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Source : IANS