आज से कांस फिल्म फेस्टिवल शुरू हो चुका है जो 28 मई तक चलेगा. कांस फिल्म फेस्टिवल में इस साल भारत की छह फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी. इस बार का कांस फिल्म फेस्टिवल बेहद खास है क्योंकि भारत को इस फेस्टिवल के लिए 'कंट्री ऑफ ऑनर' (Country Of Honor) के लिए इनविटेशन जो आया है. वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण कांस फिल्म फेस्टिवल में पहली बार एक जूरी मेंबर की हैसियत से पहुंची हैं. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब कांस में भारत का बोलबाला हो रहा है बल्कि इससे पहले भी विदेशी फिल्मों के बीच भारतीय सिनेमा की फिल्मों ने अलग पहचान बनाई थी. आइए देखते हैं इस लिस्ट में कौन-कौन सी फिल्में हैं शामिल.
'ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग'
पायल कपाड़िया द्वारा निर्देशित फिल्म ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग (A Night of Knowing Nothing) में एक इंडियन स्टूडेंट की जिंदगी दिखाई गई है. इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को साल 2021 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के लिए गोल्डन अवॉर्ड मिला था.
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'द लंच बॉक्स'
इरफान खान और निम्रत कौर स्टारर फिल्म द लंच बॉक्स (The Lunch Box) को रितेश बत्रा ने निर्देशित किया था. इस फिल्म में नकुल वैद और नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अहम किरदार निभाते दिखाई दिए थे. इसकी स्क्रीनिंग साल 2013 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में की गई थी.
'सलाम बॉम्बे'
दिवंगत अभिनेता इरफान खान की फिल्म सलाम बॉम्बे (Salaam Bombay) दूसरी फिल्म है, जिसने कांस फिल्म फेस्टिवल में अपनी खास जगह बनाई थी. मीरा नैयर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों की जिंदगी के बारे में बताया दिखाया गया था.
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'पाथेर पांचाली'
'सत्यजीत रे' की फिल्म पाथेर पांचाली (Pather Panchali) बंगाली फिल्म है, जिसे 1956 के कांस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट्री का खिताब मिला था.
'बूट पॉलिश'
प्रकाश अरोड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म बूट पॉलिश (Boot Polish) की चाइल्ड एक्टर नाज को 1955 के कांस फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल ऑनर दिया गया था. राज कपूर द्वारा निर्मित इस फिल्म में दो भाइयों कि कहानी दिखाई गई थी, जिन्हें जबरन भीख मांगने पर मजबूर किया जाता है.
'दो बीघा जमीन'
साल 1953 में आई फिल्म दो बीघा जमीन (Do Bigha Zameen) में बलराज साहनी और निरूपा रॉय नजर आए थे. इस फिल्म को साल 1954 के कांस फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल अवॉर्ड से नवाजा गया था.