सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के जाने के बाद हर कोई उन्हें तरह-तरह से याद कर रहा है. जाहिर है लता दीदी जैसा न कोई हो सका है, न कोई हो सकेगा. वो तो केवल एक ही थी और हमेशा रहेंगी भी. इस बीच हाल ही में सिंगर सोना महापात्रा ने लता मंगेशकर को लेकर बड़ी बात कह दी है. उनका कहना है कि लता दीदी के विरासत को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है. जिस बारे में आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हैं.
सोना महापात्रा (Sona Mahapatra) का कहना है कि“हम लताजी के गाने सुनकर बड़े हुए हैं. उनकी आवाज एक ऐसी शक्ति है, जो हमें सीमाओं और भाषाओं में एकजुट करती है. यह तब साबित हुआ जब हम सभी उनके निधन के बाद दुःख में एकजुट थे... इसको लेकर कोई दो राय नहीं है कि वह वास्तव में मेनस्ट्रम म्यूजिक को दिशा दिखाने वाली रोशनी थी. हमें लता दीदी के निधन के दुःख से आगे बढ़ना है. साथ ही देश और उपमहाद्वीप के लिए प्रेरणा साबित होने वाली लता दीदी की उपलब्धियों का जश्न मनाना है. हालांकि, दिवंगत गायिका के योगदान को मापना मुश्किल है. लेकिन उनका मानना है कि इसे संरक्षित किया जा सकता है.
उनका कहना है कि लताजी (Lata Mangeshkar) हमें आने वाले कई जन्मों तक प्रेरित करती रहेंगी. उन्हें लगता है कि यह न केवल उनके निधन पर शोक व्यक्त करने का समय है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश देने का मौका है. सोना ने कहा, ''हमें उनके संगीत को खराब होने से बचाने के लिए उनकी विरासत को संग्रहीत करने के लिए एक ठोस प्रयास की जरूरत है. बहुत कुछ करने की जरूरत है, क्योंकि लताजी के 36,000 से ज्यादा गानों की विरासत को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए. क्योंकि उनके हर गाने से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है.”
महापात्र (Sona Mahapatra) कहती हैं कि "भारत में हम अपने संगीत को ठीक से संग्रहीत नहीं करते हैं. हमारा बहुत सारा संगीत खो रहा है, क्योंकि वे एनालॉग रिकॉर्डिंग थे और वे डिजिटल युग में सही ढंग से संरक्षित नहीं थे. ऐसे में म्यूजिक रिकॉर्डिंग की क्वालिटी बदलती रहती है. इसे संग्रहीत करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और फंड की जरूरत है.