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ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है, फेमस हैं सनी देओल के डायलॉग्स

बताया जा रहा है कि वह पंजाब के गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

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Vivek Kumar
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ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है, फेमस हैं सनी देओल के डायलॉग्स

सनी देओल

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बॉलीवुड के 'जिद्दी' अभिनेता सनी देओल फिल्मों में अब सफल पारी खेलने के बाद अब राजनीतिक मैदान पर भी हाथ आजमाने उतर चुके हैं. दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के बेटे सनी देओल ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ज्वॉइन कर ली. बताया जा रहा है कि वह पंजाब की गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

अब तक कई सफल फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता सनी देओल ने साल 1983 में फिल्म 'बेताब' से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत की. उन्हें एक्शन हीरो के तौर पर माना जाता है. उन्होंने 'बॉर्डर', 'दामिनी' और 'गदर', जिद्दी, जैसी हिट फिल्में दी हैं. जिनके डायलॉग्स आज भी लोगों के जहन में बसे हैं. अब जब आज सनी देओल बीजेपी में शामिल हो गए हैं उनकी फिल्मों के दमदार डायलॉग्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

घायल (1990)- इस चोट को अपने दिल-ओ-दिमाग पर कायम रखना. कल यही आंसू क्रांति का सैलाब बनकर, इस मुल्क की सारी गंदगी को बहा ले जाएंगे.

दामिनी (1993)- चड्‌ढा, समझाओ.. इसे समझाओ. ऐसे खिलौने बाजार में बहुत बिकते हैं, मगर इसे खेलने के लिए जो जिगर चाहिए न, वो दुनिया के किसी बाजार में नहीं बिकता, मर्द उसे लेकर पैदा होता है. और जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है न तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है.

घातक (1996)- ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है. ये ताकत खून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है. मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं.

घातक (1996)- हलक में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामखोर.. उठा उठा के पटकूंगा. उठा उठा के पटकूंगा.. चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले.

दामिनी (1993)- तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है मीलॉर्ड लेकिन इंसान नहीं मिला मीलॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला. मिली है तो सिर्फ ये तारीख.

घातक (1996)- पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कात्या. तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं. तू कहे तो काटूं, तू कहे तो भौंकू.

जिद्दी (1997)- चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है, और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाजत नहीं.

गदर: एक प्रेम कथा (2001)- अशरफ अली! आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद था और जिंदाबाद रहेगा. बस बहुत हो गया.

Source : News Nation Bureau

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