जानिए सुशांत मामले में कैसे उचित ठहराई गई पटना पुलिस की कार्रवाई
न्यायाधीश हृषिकेश कुमार की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि, चूंकि मृतक अभिनेता के पिता विचाराधीन संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारी हैं, इसलिए पटना पुलिस की कार्रवाई न्यायसंगत है
दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के परिवार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच के आदेश दिए. साथ ही कोर्ट ने कहा कि पटना पुलिस की कार्रवाई उचित थी. न्यायाधीश हृषिकेश कुमार की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि, चूंकि मृतक अभिनेता के पिता विचाराधीन संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारी हैं, इसलिए पटना पुलिस की कार्रवाई न्यायसंगत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'पुलिस द्वारा अपराध की सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है. पूर्व के उदाहरणों से पता चलता है कि जांच के दौरान यह कहने का कोई अर्थ नहीं है कि संबंधित पुलिस स्टेशन के पास मामले की जांच करने के लिए क्षेत्रीय अधिकार नहीं है.' कोर्ट ने कहा कि पटना पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में कोई कानूनी गड़बड़ी नहीं की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'शिकायत में आरोपों की स्वभाविकता को देखते हुए, जो धन के गबन और विश्वासघात से संबंधित है, बिहार पुलिस द्वारा क्षेत्राधिकार की कवायद क्रम में है. जांच के स्तर पर उन्हें एफआईआर को मुंबई पुलिस को स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं.'
पीठ ने आगे कहा, इसी वजह से बिहार सरकार सीबीआई को जांच सौंपने के लिए सहमति देने को लेकर सक्षम है और सीबीआई द्वारा जारी जांच को वैध माना जाता है. सुशांत के पिता केके सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलील दी थी कि जब मृतक अभिनेता की संपत्ति के संबंध में गलत व्यवहार और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया गया है और संबंधित संपत्ति कथित अपराध से संबंधित है, तो आखिरकार इसका हिसाब देना होगा. हालांकि, उन तर्कों का महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध किया. वहीं वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने रिया चक्रवर्ती का प्रतिनिधित्व किया.