मिस यूनीवर्स का खिताब जीतने के बाद साल 1996 में सुष्मिता सेन ने फिल्म 'दस्तक' से बड़े परदे पर कदम रखा था. सिनेमा में अदाकारी के 25 साल मना रहीं सुष्मिता सेन ने अपनी पहली ही ओटीटी सीरीज 'आर्या' में बेस्ट एक्ट्रेस के सात अवार्ड्स जीते हैं. अब सुष्मिता जल्द ही 'आर्य 2' से अपने फैंस के बीच दोबारा लौट रही हैं. इसी बीच सुष्मिता का एक इंटरव्यू खासा वायरल हो रहा है. जिसमें उन्होंने खुद को लेकर बेहद चौंका देने वाला सच कबूल किया है.
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दरअसल, सुष्मिता ने 'आर्य' सीरीज के दूसरे सीजन की ईव पर फिल्ममेकिंग की बदलती तकनीक, अदाकारी की अपनी अगली मंजिल और अपने इस नए अवतार पर खुलकर बात की है. जिसके साथ ही उन्होंने अपने बारे में सबके सामने कई राज भी खोले जो बेहद हैरतंगेज हैं. मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान, सुष्मिता ने ओटीटी पर अपने डेब्यू और फर्स्ट डेब्यू के साथ ही 7 अवार्ड्स जीतने पर बताया कि वो एक कामकाजी मां हैं और ओटीटी पर इतना जबरदस्त डेब्यू करना उनके लिए किसी पुनर्जन्म से कम नहीं है.
सुष्मिता ने कहा कि, 'लोगों ने मुझे उतनी ही शिद्दत और मोहब्बत से स्वीकार किया जितना फिल्मों के वक्त किया था.. वो भी तब जब हमने इसकी कोई खास ऐसी योजना भी नहीं बनाई थी.' सुष्मिता ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि, 'हमने ईमानदारी से एक सीरीज बनाई. पहला सीजन बनाय़ा. हमने कभी नहीं सोचा था इन पुरस्कारों के बारे में क्योंकि इन अवार्ड्स की तब स्थापना भी नहीं हुई थी.'
बता दें कि सुष्मिता ने ये बात इस एवज में कही थी कि ओटीटी फिल्म्स के लिए अवार्ड्स का सिलसिला 'आर्या' के फर्स्ट सीजन के आने के बाद ही शुरू हुआ था.
गौरतलब है कि, साल 2000 में जब आइफा की शुरुआत हुई थी तब भी सुष्मिता को अवार्ड मिला था और अब जब फिल्मफेयर ओटीटी की शुरुआत हुई है तब भी पहले ही साल में सुष्मिता ने 7 अवार्ड अपने नाम किये हैं. सुष्मिता का मानना है कि, आइफा के दौरान उनका एक अलग करियर था और अब 'आर्या' के वक्त उनका एक अलग करियर है.
वहीं, 'आर्या 2' की कहानी के बारे में बात करते हुए सुष्मिता ने कहा कि, 'मैं हमेशा से ही ये मानती आई हूं कि हमारा देश औरतें ही चलाती हैं. वह सिर्फ दिखता नहीं है ऐसे. लेकिन, खेती किसानी से लेकर शहरी जिंदगी तक महिलाएं ही सबसे ज्यादा योगदान देश के विकास में कर रही हैं. तो ये मेरे लिए तो नई बात नहीं है कि वह अपना कोई साम्राज्य चला सकती है, वह तो चलाती ही रही हैं.'
सुष्मिता ने आगे कहा कि, 'आर्या जो एक गृहिणी थी और तीन बच्चों की मां थी जिसका दूर दूर तक इस कारोबारी साम्राज्य से कोई दूर दूर तक कनेक्शन नहीं था उसे जब एक असंभव जैसी स्थिति से गुजरना होता है तो फिर वह उसे चुनती है और कहती है कि अब मुझे वही करना है जो किया जाना चाहिए. और, फिर वह अपने घर से, अपनी किचन से और बस एक मां या एक बीवी होने के एहसास से बाहर आती है और इस तरीके से उस कारोबार का अधिग्रहण करती है जो शायद उस दुनिया में सिर्फ मर्दों के लिए बनी जगह थी. मेरे हिसाब से 'आर्या' का किरदार बहुत ही शक्तिशाली है.'
सुष्मिता ने आखिर में अपने बारे में सच कबूलते हुए भी कई बाते बताईं. सुष्मिता ने कहा कि, 'मैं एक अदाकारा हूं तो जाहिर है लालच तो मेरे भीतर होगा ही और ये एक नेचुरल रिएक्शन है. सच कहूं तो मैं कभी अपने काम से संतुष्ट नहीं हो पाती हूं. कुछ पाने के बाद मुझे नहीं लगता कि मैंने सब कुछ पा लिया है. मुझे तब सिर्फ इतना लगता है कि हां, अब मैं सही रास्ते पर हूं. ये मैं करना चाहती थी.'