पाकिस्तानी मूल के भारतीय गायक अदनान सामी को पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की घोषणा को लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने रविवार को सरकार पर निशाना साधा. संशोधित नागरिकता कानून (CAA) पर तीखा विरोध जताते हुए भास्कर ने यहां एक रैली में कहा कि इस देश में शरणार्थियों को नागरिकता देने और घुसपैठियों को पकड़ने की कानूनी प्रक्रिया पहले से वजूद में है. आपने (सरकार) इसी प्रक्रिया के तहत सामी को भारतीय नागरिकता दे दी और अब उन्हें पद्मश्री के लिए भी चुन लिया.
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स्वरा भास्कर ने शहर के एक सामाजिक संगठन की तरफ से आयोजित "संविधान बचाओ, देश बचाओ" रैली में कहा, "आप हमें (सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी) गालियां दो, हम पर लाठियां चलाओ, हमें चप्पल मारो, हम पर आंसू गैस के गोले छोड़ो और एक पाकिस्तानी को पद्मश्री दे दो. यह तो इस सरकार का हाल है और ये लोग हमें टुकड़े-टुकड़े गिरोह के सदस्य, एंटीनेशनल और पता नहीं क्या-क्या बताते रहते हैं." भास्कर ने सीएए के विरोध में जुटे हजारों लोगों की मौजूदगी में आरोप लगाया कि यह कानून बनाकर संविधान के साथ बड़ा विश्वासघात किया गया है.
उन्होंने कहा, "सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के बारे में यह बात कही जा रही है कि देश में घुसपैठिये घुस गए हैं, लेकिन ये घुसपैठिये हमें नजर क्यों नहीं आ रहे हैं." अभिनेत्री ने कहा, "दिक्कत यह है कि घुसपैठिये सरकार के दिमाग में घुस गए हैं, क्योंकि सरकार को पाकिस्तान से एकतरफा प्यार हो गया है. इन्हें हर जगह पाकिस्तानी दिखायी पड़ रहे हैं. मेरी नानी जितनी बार हनुमान चालीसा नहीं पढ़ती थीं, उससे ज्यादा तो यह सरकार पाकिस्तान का नाम जपती रहती है."
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बॉलीवुड अभिनेत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम लिये बगैर कहा, "नागपुर में बैठकर ये लोग नफरत का नशा, नफरत की राजनीति और नफरत का व्यापार कर रहे हैं." भास्कर ने कहा, "वर्ष 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने एक धार्मिक गणराज्य बनाया था, लेकिन हम इस बात पर अडिग रहे कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बनेगा और हमारे देश में नागरिकता व धर्म का कोई लेना-देना नहीं होगा."
उन्होंने कहा, " (पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली) जिन्ना को गुजरे अरसा हो गया है, लेकिन कौन हैं ये जिन्ना प्रेमी जो देश को धर्म के नाम पर दोबारा बांटना चाहते हैं?" भास्कर ने बांग्लादेशी नागरिकों के इंदौर में अवैध प्रवास के संदेह को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की पोहा संबंधी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना भी की. उन्होंने विजयवर्गीय की संबंधित टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा, अगर पोहा बांग्लादेशी व्यंजन है, तो जो आदमी (इंदौर में) आजीवन पोहा खाकर बड़ा हुआ है, वह भी बांग्लादेशी हुआ. ऐसे व्यक्ति को अपनी भारतीय नागरिकता के कागज दिखाने चाहिये.