अभिनय ऐसा पेशा है जिसमें माफी की गुंजाइश नहीं: मनोज वाजपेयी

मनोज वाजपेयी का कहना है कि नवोदित कलाकारों को फिल्मोद्योग में आने से पहले उचित प्रशिक्षण लेना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा पेशा है जिसमें माफी की गुंजाइश नहीं है और दूसरा मौका नहीं मिलता.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Manoj Bajpai

बेहतरीन अभिनेता की बेहतरीन सलाह.( Photo Credit : न्यूज नेशन.)

Advertisment

बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी का कहना है कि नवोदित कलाकारों को फिल्मोद्योग में आने से पहले उचित प्रशिक्षण लेना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा पेशा है जिसमें माफी की गुंजाइश नहीं है और दूसरा मौका नहीं मिलता. अभिनेता ने कहा कि किसी भी अन्य पेशे की तरह अभिनय में भी लगातार अपने कौशल को निखारना होता है. वाजपेयी ने कहा, 'मैं सबसे कहता हूं कि जितना संभव हो, आपको कार्यशालाओं में जाना चाहिए, थियेटर करना चाहिए, अभ्यास करना चाहिए. अध्ययन करने के साथ ही दूसरों को अभिनय देखना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'यह ऐसा नहीं है कि आप चार छह महीने या एक साल में सीख जाएंगे, यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.' प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए अभिनेता ने कहा कि फिल्म उद्योग में अस्तित्व बनाए रखने के लिए व्यक्ति को उसमें अच्छा होना चाहिए जो वह करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'यह एक ऐसा पेशा है जिसमें माफी की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इतना सब कुछ दांव पर लगा होता है कि कोई आपको दूसरा मौका नहीं देना चाहता. आपको उसमें अच्छा प्रदर्शन करना होता है जो आप करना चाहते हैं.'

1998 में 'सत्या' फिल्म में भीखू म्हात्रे का किरदार निभाने से चर्चा में आने वाले वाजपेयी ने बैरी जॉन के अभिनय स्टूडियो में प्रशिक्षण लिया था. उन्होंने 1994 में 'बैंडिट क्वीन' से फिल्मी करियर की शुरुआत की थी और इससे पहले उन्होंने दिल्ली में थियेटर में अभिनय किया था. कई वर्षों तक थियेटर से जुड़े रहने और दो दशक से भी लंबे अनुभव के बाद वाजपेयी का कहना है कि अंततः उन्हें समझ में आ गया है कि किसी चरित्र को निभाते समय उन्हें कैसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'किरदार और फिल्म के अनुसार मैं वह रवैया अपनाता हूं जो जरूरी होता है.'

Source : News Nation Bureau

मनोज बाजपेयी बॉलीवुड Satya Manoj Bajpai Acting अभिनय Professional
Advertisment
Advertisment
Advertisment