दिलीप कुमार (Dilip Kumar) : बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह 7.30 बजे निधन हो गया है. 98 साल की उम्र में दिलीप कुमार ने आखिरी सांस ली. उनको सांस संबंधित परेशानी थी, जिसके चलते उनका मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल में इलाज चल रहा है, जहां आज सुबह उनका निधन हो गया. दिलीप कुमार के निधन के बाद बॉलीवुड से लेकर पूरे देश में शोक की लहर है. देश के बड़े बड़े राजनैतिक नेता और तमाम बड़ी हस्तियां उन्हें नमन कर रही हैं. दिलीप कुमार हिंदी सिनेमाजगत के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार थे. वह बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार थे. दिलीप कुमार को बॉलीवुड में 'ट्रेजडी किंग' (Tragedy King) के नाम जाना जाता था. बॉलीवुड ही नहीं, हॉलीवुड में भी उनके चाहने वाले थे. हॉलीवुड फिल्मों में दिलीप कुमार को फिल्में करने का मौका भी मिला था, लेकिन उन्होंने खुद इससे इनकार कर दिया था.
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हॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर डेविड लीन ने दिलीप कुमार को अपनी फिल्म 'लॉरेन्स ऑफ अरेबिया' में प्रिंस शेरीफ अली के किरदार के लिए बात की थी. डेविड लीन की पिछली फिल्म 'द ब्रिज ऑन द रिवर क्वाई' को 7 ऑस्कर अवार्ड मिल चुके थे, लेकिन जब डेविन ने दिलीप साहब से फिल्म के प्रस्ताव के बारे में बात की तो दिलीप कुमार ने उनकी फिल्म में काम करने से साफ इनकार कर दिया था.
मशहूर डायरेक्टर डेविड लीन को मना करने को लेकर कहा जाता है कि दिलीप कुमार को कभी भी हॉलीवुड फिल्में पसंद नहीं आईं. इतना ही नहीं, उन्हें हॉलीवुड की फिल्मों में काम करने का कोई शौक भी नहीं था. इसी के साथ ही दिलीप कुमार को लगता था कि वो इस फिल्म में फिट नहीं हो पाएंगे और बाहरी दिखेंगे.
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दिलीप कुमार का फिल्मी करियर
दिलीप कुमार ने फिल्म 'ज्वार भट्टा' से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की. साल 1949 में आई फिल्म 'अंदाज' से दिलीप साहब को पहचान मिली. इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ राज कपूर थे. इस फिल्म के बाद 'दीदार' (1951) और 'देवदास' (1955) जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने की वजह से उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा गया. साल 1983 में फिल्म 'शक्ति', 1968 में 'राम और श्याम', 1965 में 'लीडर', 1961 की 'कोहिनूर', 1958 की 'नया दौर', 1954 की 'दाग' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया. दिलीप कुमार (Dilip Kumar) पर फिल्माया गया गाना 'नैना जब लड़िहें तो भैया मन मा कसक होयबे करी' आज भी लोगों को काफी पसंद है.
दिलीप कुमार के जिंदगी के बारे में
दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर ( अब पाकिस्तान) में हुआ था. विभाजन के बाद साल 1930 में दिलीप कुमार का परिवार मुंबई में आकर बसा था. दिलीप कुमार का शुरुआती जीवन तंगहाली और संघर्ष में गुजरा. दिलीप के पिता फल बेचते थे. 1940 में पिता से मतभेद के बाद वह पुणे आ गए. संघर्ष के दिनों में वह पुणे की एक कैंटीन में काम करते थे. यहीं देविका रानी की दिलीप कुमार पर नजर पड़ी. देविका ने ही दिलीप युसूफ खान को दिलीप कुमार नाम दिया.