मराठी फिल्मों के दिग्गज एक्टर श्रीकांत मोघे का पुणे में उनके आवास पर निधन हो गया. शनिवार को पारिवारिक सूत्रों ने जानकारी दी. वह 91 वर्ष के थे. वह लंबे समय से बीमारी से ग्रसित थे. श्रीकांत मोघे (Shrikant Moghe) का जन्म 6 नवंबर 1929 को सांगली जिले के किरलोसकारवाड़ी में हुआ था. दिवंगत कवि सुधीर मोघे उनके छोटे भाई थे. श्रीकांत मोघे ने कई हिट मराठी नाटकों और सिंहासन (1979) जैसी फिल्मों में अभिनय किया था. जानकारी के मुताबिक वे लंबे वक्त से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजर रहे थे, जिसके कारण काफी लंबे अरसे से उनका इलाज चल रहा था. बीमारी ने उन्हें व्हीलचेयर में जाने के लिए मजबूर कर दिया. ऐसी स्थिति में होने के बाद भी वे नियमित रूप से बैठकों में शामिल होते थे और माहौल को खुश करते थे. उन्होंने शनिवार को कर्वे नगर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली.
मुंबई-पुणे में की पढ़ाई
मोघे ने 10वीं कक्षा तक किर्लोस्करवाड़ी में पढ़ाई की. उनकी कॉलेज की शिक्षा विलिंगडन कॉलेज, सांगली में हुई थी. वे B.Sc. के लिए एसपी कॉलेज, पुणे गए. मुंबई में उन्होंने B.A. की डिग्री ली. स्कूल में रहते हुए भी उन्होंने नाटक का रुख किया. पुणे और मुंबई में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने भालबा केलकर के नाटक 'बिचारा निर्देशक' का निर्देशन किया. लगनचि बेदी, अमलदार जैसे नाटक अपने वीर अभिनय के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने 60 से अधिक नाटकों और 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है.
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फिल्म 'सिंघासन' में उनकी जमकर प्रशंसा हुई
साल 1979 में आई फिल्म सिंहासन में उनके किरदार की जमकर प्रशंसा की गई थी. अपनी यात्राओं के आधार पर उन्होंने एक आत्मकथा 'नटरंगी रंगालो' लिखी है. श्रृंखला 'स्वामी' में राघोबद की भूमिका को दर्शकों ने सराहा. उन्होंने 2012 में सांगली में आयोजित अखिल भारतीय मराठी नाट्य सम्मेलन की अध्यक्षता की. ‘नटरंगी रंगालो, उनकी प्रसिद्ध आत्मकथा है. श्रीकांत मोघे को एक बार मराठी थिएटर और फिल्म उद्योग में 'चॉकलेट हीरो' की छवि वाले नायक के रूप में देखा गया था. चाहे वो वसंत कानेटकर के नाटक 'लेकुरे उदंद जालि' में राजशेखर उर्फ राजा आसो की भूमिका हो या पुएल नटश्रेष्ठ. श्रीकांत मोघे को ऐसे कलाकार के रूप में जाना जाता है, जो प्रशंसकों को खुशी देते थे.
कई पुरस्कार मिल चुके हैं
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देर रात वैकुंठ कब्रिस्तान में मोघे के शव का अंतिम संस्कार किया गया. देर रात वैकुंठ कब्रिस्तान में मोघे के शव का अंतिम संस्कार किया गया. मुघे जो मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ सभी को बधाई देते हैं और हर किसी के साथ सहज रूप से संवाद करते थे. उन्हें अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. साल 2005-06 में उन्हें हैराट स्टेट कल्चरल अवार्ड से सम्मानित किया गया था. 2010 में काशीनाथ घनेकर पुरस्कार, 2010 में केशवराव तिथि पुरस्कार मिल चुका है.
इसके अलावा साल 2010 में ही उन्हें अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इसके अलावा साल 2014 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से उनको प्रभाकर पनाशीकर थिएटर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और महाराष्ट्र सरकार कला गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 92 वें मराठी नाट्य सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए उन्हें गादिमा पुरस्कार भी मिला था.
HIGHLIGHTS
- काफी लंबे अरसे से बीमार थे
- शनिवार को अपने आवास पर ली अंतिम सांस
- दिवंगत कवि सुधीर मोघे उनके छोटे भाई थे
Source : News Nation Bureau