विक्रम भट्ट (Vikram Bhatt)ने हाल ही में ओम राउत के आदिपुरुष (Adipurush) पर अपने अनफ़िल्टर्ड व्यू दिए हैं. वाल्मिकी की रामायण पर आधारित फिल्म में पुराने करेक्टर को लेकर क्रिटिसिज्म की जा रही है. जो लोगों की आस्था और विश्वास से जुड़े हैं. भट्ट के दादा विजय भट्ट ने 1943 में रामराज्य (Ramrajya) बनाई थी जो महात्मा गांधी ने भी देखी थी. विक्रम ने एक इंटरव्यू में बताया कि 'सबसे पहले मैं समझ नहीं पा रहा कि आदिपुरुष रामायण है या नहीं. मुझे डिस्क्लेमर की शुरुआत में बताया गया कि यह रामायण नहीं है, यह रामायण से इंस्पायर फिल्म है. साथ ही वे एक सीट हनुमान जी के लिए भी रखना चाहते हैं, क्योंकि जहां भी रामायण होती है वहां हनुमान जी होते हैं. इसलिए, यह रामायण है या नहीं, यह मेकर्स को तय करना है.
'रामायण पर फिल्में आस्था और विश्वास के बारे में हैं'
आस्था और विश्वास पर बनी फिल्मों के बारे में बोलते हुए, फिल्म मेकर ने कहा कि मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्में बनाना मनोरंजन या वर्ल्डवाइड नंबरों के बारे में नहीं है. कुल मिलाकर इस तरह की फिल्में आस्था, विश्वास और पूजा के बारे में होती हैं. क्या आप जानते हैं कि पुराने ज़माने में लोग अपने पसंदीदा देवताओं के मंदिर कैसे बनाते थे? यह किसी लाभ के लिए नहीं था. यह उनकी पूजा और कृतज्ञता का तरीका था और मुझे लगता है कि जब आप एक तरह से लोगों को पूजा करने के लिए बुला रहे हैं तो यह पूजा के बारे में होना चाहिए.
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'कुछ फ़िल्में मनोरंजन से आगे निकल जाती हैं'
भगवान राम के वनवास से लौटने पर आधारित अपने दादा की फिल्म 'रामराज्य' को याद करते हुए, विक्रम ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह भगवान में उनकी आस्था का प्रमाण था और यह वही आस्था थी जिसे उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन तक बनाए रखा. कुछ फ़िल्में महज़ मनोरंजन से भी आगे निकल जाती हैं. वे गहरी आस्था और पूजा के दायरे में चले जाते हैं''
Source : News Nation Bureau