फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) ने हालिया बॉलीवुड फिल्मों के कंटेट को लेकर उंगली उठाई है. उन्होंने कहा कि मीडिल क्लास दर्शक मुश्किल से इन फिल्मों से जुड़ पाते हैं और यही वजह है कि फिल्में लोगों को थिएटर तक लाने में असफल हो रही हैं. हालांकि, सुधीर मिश्रा ने तर्क दिया कि दर्शक 'आलसी' हो गए हैं, इसलिए वे सिनेमा हॉल में फिल्में नहीं देख रहे हैं. (Vivek Agnihotri) अग्निहोत्री ने मिश्रा के साथ अपने लेटेस्ट पोडकास्ट में कहा, “इस इंडस्ट्री में मेरा पूरी तरह से बहिष्कार किया गया है. और जब मैंने गृहिणियों से बात की, तो उन्होंने इस अति-प्रदर्शन और शारीरिक रवैये के अश्लील प्रदर्शन के साथ समस्याओं का उल्लेख किया. लोग चिढ़ जाते हैं क्योंकि फिल्में वास्तविक चिंताओं को दूर नहीं करती हैं.
'आज की फिल्मों में आम आदमी कहां है'
जब सुधीर मिश्रा (Sudhir Mishra) ने कहा कि दर्शक भी 'आलसी' हो गए हैं, तो विवेक अग्निहोत्री ने तर्क दिया, "बॉलीवुड का बहिष्कार नकली नहीं है. दर्शक आलसी नहीं हो गए हैं. मैं उन फिल्मों को समझना चाहता हूं जो आजकल बन रही हैं. इन फिल्मों के दर्शक कौन हैं? वे किसकी चिंता की बात कर रहे हैं? हम कहाँ जा रहे हैं? यहां तक कि मनमोहन देसाई की फिल्में भी एक मध्यवर्गीय व्यक्ति के मुद्दों को उठाती थीं. लेकिन आज की फिल्मों में आम आदमी कहां है?”
अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि उनके और कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के अलावा कोई भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की प्रथाओं पर सवाल नहीं उठा रहा है. “अगर प्रतिष्ठान कुछ गलत करता है, तो हमें उस पर सवाल उठाने का अधिकार है, कम से कम बुद्धिजीवियों और उदारवादियों को ऐसा करना चाहिए. तो, फिल्म इंडस्ट्री भी एक प्रतिष्ठान है. जो लोग राज्य पर सवाल उठा रहे हैं, क्या उन्हें पहले उस प्रतिष्ठान से सवाल नहीं करना चाहिए जिससे वे रोजी-रोटी कमा रहे हैं. तो कंगना और मेरे अलावा बॉलीवुड से किसने सवाल किया है? और, अगर मैं इंडस्ट्री की प्रथाओं पर सवाल उठाऊं तो मुझे अलग क्यों होना चाहिए? फिल्म निर्माता ने पूछा.
Source : News Nation Bureau