Womens Day 2024: बॉलीवुड फिल्मों में महिलाओं का महत्व विशेष रूप से आधुनिकता और सामाजिक परिवर्तन के संकेतक के रूप में है. आजकल की फिल्मों में महिलाओं की भूमिकाएं महत्वपूर्ण हो रही हैं और उन्हें समय-समय पर प्रमुख और पारंपरिक नायिकाओं के साथ बराबरी के माध्यम के रूप में पेश किया जाता है. उनके किरदार अक्सर शक्तिशाली, स्वतंत्र, और साहसी होते हैं, जो सामाजिक और मानविकी समस्याओं को उजागर करते हैं. महिला कलाकारों की प्रतिभा, साहित्यिकता, और प्रेरणादायक कहानियां भारतीय सिनेमा को विविधता और समृद्धि प्रदान करती हैं. वे आत्मनिर्भरता, सम्मान, और समाज में समानता की अवधारणा को बढ़ावा देती हैं. महिलाओं का महत्व बॉलीवुड में न केवल उनकी भूमिकाओं के माध्यम से बल्कि उनके पीछे के कलाकारों और निर्माताओं के रूप में भी बढ़ रहा है, जो फिल्मों के निर्माण और संचालन में अहम भूमिका निभाती हैं.
क्वीन (2013): यह फिल्म रानी मेहरा नाम की एक युवा महिला की कहानी है, जो अपनी शादी से एक दिन पहले अपने मंगेतर द्वारा छोड़ दी जाती है. हार मानने के बजाय, वह अपने हनीमून पर अकेले जाने का फैसला करती है और रास्ते में खुद को फिर से खोजती है.
कैरी ऑन जट्टा (2012): यह फिल्म एक ऐसी महिला की कहानी है जो पंजाबी संस्कृति में लिंगभेद से लड़ती है. वह अपने सपनों को पूरा करने और अपने परिवार और समुदाय के लिए एक बदलाव लाने के लिए दृढ़ है.
पीकू (2015): यह फिल्म एक पिता-पुत्री की जोड़ी की कहानी है जो एक सड़क यात्रा पर निकलते हैं. रास्ते में, वे एक-दूसरे के बारे में और खुद के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं.
अंग्रेजी मीडियम (2020): यह फिल्म एक ऐसे पिता की कहानी है जो अपनी बेटी को लंदन में पढ़ाई करने के लिए भेजने के लिए दृढ़ है. वह भाषा की बाधाओं और वित्तीय कठिनाइयों को पार करता है ताकि उसका सपना सच हो सके.
छपाक (2020): यह फिल्म एक एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी है जो न्याय पाने और अन्य पीड़ितों के लिए प्रेरणा बनने के लिए लड़ती है.
गुंजन सक्सेना, द कारगिल गर्ल (2020): यह फिल्म भारतीय वायु सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट गुंजन सक्सेना की कहानी है. वह लिंगभेद और पूर्वाग्रहों को दूर करती है और अपने देश की सेवा करने के अपने सपने को पूरा करती है.
थप्पड़ (2020): यह फिल्म एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपने पति द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाती है. वह अपने लिए खड़े होने और एक स्वतंत्र जीवन जीने का फैसला करती है.
शेरनी (2021): यह फिल्म एक महिला वन अधिकारी की कहानी है जो शिकारियों से बाघों की रक्षा करने के लिए लड़ती है. वह पुरुष प्रधान समाज में अपनी जगह बनाने और एक बदलाव लाने के लिए दृढ़ है.
मिमी (2021): यह फिल्म एक सरोगेट मां बनने वाली एक युवा महिला की कहानी है. वह रास्ते में कई चुनौतियों का सामना करती है, लेकिन वह अंततः एक मजबूत और स्वतंत्र महिला बनकर उभरती है.
झुंड (2022): यह फिल्म एक फुटबॉल कोच की कहानी है जो गरीब और वंचित बच्चों की एक टीम बनाता है. वह उन्हें जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और आत्मविश्वास सिखाता है.
ये फिल्में मजबूत और प्रेरक महिला पात्रों को चित्रित करती हैं जो बाधाओं को पार करती हैं और अपने सपनों को पूरा करती हैं. वे महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भेजते हैं और सभी के लिए समानता के महत्व हैं.
Source : News Nation Bureau