12 मई को पूरी दुनिया में मदर्स डे के तौर पर मनाया जाता है, आज इस खास मौके पर आइए जानते हैं बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में जो मांओं के लिए खास हैं. मां भगवान का सबसे बड़ा उपहार हैं. वे अपने प्यार, बलिदान और निस्वार्थता के लिए हर दिन जश्न मनाने के पात्र हैं. तो आइए मदर्स डे पर मूवी डेट के साथ उन्हें और भी खास महसूस कराएं. अपने जीवन की सबसे खूबसूरत महिला के साथ आज क्या देखना है इसके पांच मजेदार ऑपशन यहां दिए गए हैं:
डार्लिंग्स (2022)
एक महिला अपनी एकली मां की मदद से अपने अब्यूसिव हस्बैंड को उसकी ही दवा का स्वाद चखाती है. आलिया भट्ट, शेफाली शाह और विजय वर्मा के वर्सटाइल स्किल से सजी यह फिल्म एक डार्क कॉमेडी है. डार्लिंग्स इस सूची में पूरी तरह से मनोरंजन के उद्देश्य से है, इसलिए कृपया कोई प्रेरणा न लें! बस एक ब्रेक लें और सबसे प्यारी मां के साथ कुछ देर हंसी-मजाक का आनंद लें.
इंग्लिश विंग्लिश (2012)
इस लिस्ट में श्रीदेवी के बेहतरीन कामों में से एक को कैसे नहीं जोड़ सकते? शशि के रूप में दिवंगत दिग्गज के सशक्त प्रदर्शन ने हमारे दिलों को छू लिया. हालांकि उसने अपनी बेटी की सबसे अच्छी दोस्त बनने की कोशिश की, लेकिन उसका लगातार उपहास किया गया. लेकिन उनकी भतीजी राधा, जिसका किरदार प्रिया आनंद ने निभाया है, ने उन्हें समझा और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया. शशि और राधा के बीच का बंधन ऐसा है जिसके लिए हर मां-बेटी को प्रयास करना चाहिए.
निल बट्टे सन्नाटा (2015)
मा अपने बच्चों को उज्ज्वल भविष्य देने के लिए कुछ भी करेंगी, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो. वे हमेशा अपने बच्चों को अपना सर्वश्रेष्ठ करने और बेस्ट बनने के लिए प्रेरित करेंगे. निल बटे सन्नाटा में स्वरा भास्कर के किरदार चंदा ने बिल्कुल यही किया. भले ही चंदा ने खुद नौकरानी होती है, लेकिन उसकी बेटी के लिए चंदा के बड़े सपने थे और वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी. यहां तक कि जब उनकी निस्वार्थता को स्वीकार नहीं किया गया, तब भी इसने उन्हें अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करने से नहीं रोका.
त्रिभंगा (2021)
हर किसी का अपने माता-पिता के साथ रिश्ता आसान नहीं होता. हम अक्सर भूल जाते हैं कि मां भी इंसान होती हैं और हमारी तरह गलतियां कर सकती हैं. लेकिन त्रिभंगा आपको अपने प्रियजनों के साथ अपने बंधन का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर करता है. काजोल ने अपनी जिंदगी के लिए अपनी मां को दोषी ठहराया, जिसका किरदार तन्वी आजमी ने निभाया. लेकिन मिथिला पालकर द्वारा चित्रित एक मां अपनी बेटी से कितनी भिन्न थी? फिल्म अत्यधिक नाटकीय नहीं है जो इसे और अधिक प्रासंगिक बनाती है.
ख़ूबसूरत (2014)
इस रत्न ने हमें दो ऑनस्क्रीन माताओं से मिलवाया, जिन्होंने शो लूट लिया! हां, सोनम कपूर आहूजा और फवाद खान ने हमें एक स्वप्निल प्रेम कहानी दी है. हालाँकि, ओजी पंजाबी मां के रूप में किरण खेर के साथ-साथ रत्ना पाठक शाह द्वारा निभाई गई सख्त और बहुत ही अनुशासित मां ने इस फिल्म में अपने अविस्मरणीय प्रदर्शन से हमारे दिलों में एक स्थायी जगह बना ली. यह आज अवश्य देखना चाहिए!
Source : News Nation Bureau