भारत रत्न से सम्मानित सुर कोकिला Lata Mangeshkar का निधन हो गया है. वह 92 वर्ष की थीं. लता मंगेशकर 8 जनवरी से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं. आठ दशक से भी अधिक समय से हिन्दुस्तान की आवाज बनीं लता ने 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों फिल्मी और गैर-फिल्मी गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा. लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी की गायकी से जुड़ा एक बड़ा ही मजेदार वाकया है जिसने हिंदी सिनेमा में तहलका मचा दिया था. इसका जिक्र यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब 'लता सुरगाथा' में किया है.
यह भी पढ़ें: 'हेमा' से 'लता' बनी स्वर सम्राज्ञी Lata Mangeshkar का हुआ स्वर्गवास, जानें उनसे जुड़ी अनसुनी बातें
यतींद्र ने लता मंगेशकर से रॉयल्टी को लेकर हुए विवाद पर सवाल पूछा तो लता मंगेशकर ने जवाब दिया था, '...मैंने प्रस्ताव किया था कि म्युजिक कंपनियों को हमारे गाए हुए गीतों की एवज में उनके रेकॉर्ड की बिक्री पर कुछ लाभ का अंश देना चाहिए. धीरे-धीरे इसने एक बड़े विवाद का रूप लिया और सबसे ज्यादा रफी साहब इस बात के विरोध में थे कि जब हमने एक बार गाने के पैसे ले लिए तो दोबारा से उस पर पैसे मिलने का मतलब क्या है...हालांकि इस लड़ाई में मुकेश भैया, मन्ना डे, तलत महमूद और किशोर दा समर्थन में खड़े थे.
यह भी पढ़ें: लीजेंड्री सिॆंगर लता मंगेशकर ने जब एस०डी० बर्मन संग काम ना करने का किया था ऐलान
सिर्फ आशाजी, रफी साहब और कुछ सिंगर्स को यह बात ठीक नहीं लग रही थी. मुझे लगता है कि रफी साहब को इस पूरे मुद्दे के बारे में ठीक से जानकारी नहीं थी और वे गलतफहमी का शिकार थे...और देखिए उसका नतीजा तो यही हुआ कि ना कि बाद में बहुत सालों तक मैंने रफी साहब के साथ और राज कपूर जी के लिए गायन नहीं किया....लेकिन यह तो बर्मन दादा के कारण संभव हुआ. वे ही हमारे बीच में पड़े तब कहीं हम दोनों ने साथ में गाना शुरू किया.' दोनों के बीच सबकुछ 1967 में जाकर सामान्य हो सका.'