दिग्गज अदाकारा आशा पारेख (Asha Parekh)को भला कौन नहीं जानता है. वो किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. एक समय था जब अदाकारा का फिल्मी पर्दे पर सिक्का चलता था. उन्होंने अनगिनत फिल्मों में काम किया है. लेकिन ये सबकुछ उन्हें हासिल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी है. एक्ट्रेस (Asha Parekh) ने शुरूआती दिनों में काफी मेहनत की है. एक्ट्रेस अपने चुलबुले अंदाज और ग्लैमरस लुक के चलते खूब सुर्खियां बटोरती थी. लेकिन आज उनके खबरों में आने की वजह बेहद खास है. दरअसल, आशा पारेख (Asha Parekh) को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, जो आम बात नहीं है. यह पुरस्कार हर कलाकार के लिए बेहद ही खास होता है. आज हम अदाकारा (Asha Parekh) के उस किस्से के बारे में आपको बताएंगे जिनसे आप अभी तक अंजान थे. तो चलिए जानते हैं.
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आशा पारेख (Asha Parekh)का जन्म 2 अक्तूबर 1942 में गुजरात में हुआ था. अदाकारा गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती थी. उनके पिता गुजराती और माता मुस्लिम थी. आशा पारेख (Asha Parekh)को लेकर एक बात काफी मशहूर हुई थी कि उनसे लड़के बात करने में काफी घबराते थे, जिसे खुद आशा (Asha Parekh)ने एक्सेप्ट किया था. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि ‘असल जिंदगी में लड़के मेरी तारीफ करने से हिचकते थे, मुझसे बात करने से घबराते थे. मुझे याद है कि एक बार मैंने गाने 'अच्छा तो हम चलते हैं' के लिए सफेद शरारा पहना था.
फिल्म के डायरेक्टर जे ओम प्रकाश साब थे और उन्होंने मुझे कहा तुम बहुत अच्छी लग रही हो. और वो वैसा ही सफेद शरारा अपनी बेटी पिंकी के लिए लेकर गए थे'. हालांकि उन्होंने (Asha Parekh) ये कभी खुलकर नहीं बताया कि लड़के उनसे क्यों घबराते थे.