बॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है दादा साहब फाल्के पुरस्कार. भारतीय सिनेमा के पितामाह दादा साहब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को एक मराठी परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के है. उन्होंने सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई में नाटक और फोटोग्राफी की ट्रेनिंग ली. इसके बाद वह जर्मनी गए जहां जाकर उन्होंने फिल्म बनाने की तालीम हासिल की और फिर भारत आकर उन्होंने फिल्में बनानी शुरू की. उन्होंने साल 1913 में 'राजा हरिश्चंद्र' से डेब्यू किया जो भारत की पहली फुल-लेंथ फीचर फिल्म थी. राजा हरिश्चंद्र बनाने के बाद उन्होंने साल 1917 में लंका दहन बनाई. इस फिल्म को भी लोगों से खूब प्रशंसा मिली.
उनके नाम पर भारत सरकार ने 1969 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की घोषणा की. भारतीय सिनेमा में अपने महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों को इस सम्मान से नवाजा जाता है. इस सम्मान के तहत सम्मानित होने वाले व्यक्ति को एक स्वर्ण कमल मेडल और 10 लाख रुपये दिए जाते हैं.
सबसे पहला दादा साहब फाल्के सम्मान देविका रानी को दिया गया था. देविका रानी को भारतीय सिनेमा की फर्स्ट लेडी भी कहा जाता है. यह पुरस्कार सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित संगठन फिल्म महोत्सव निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष दिया जाता है.
साल 2018 के लिए महानायक अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार (66वें) से नवाजा जाएगा. अबतक बॉलीवुड और कला की दुनिया से जुड़े 65 हस्तियों को यह पुरस्कार मिल चुका है. आखिरी बार यह पुरस्कार साल 2017 में अभिनेता विनोद खन्ना को दिया गया था.
2016 में कसीनथुनी विश्वनाथ को, 2015 में मनोज कुमार, 2014 में शशि कपूर, 2013 में गुलजार, 2012 में प्राण, 2011 में सौमित्र चटर्जी, 2010 में के बालाचंदर, 2009 में डी रामानायडू को यह पुरस्कार मिल चुका है. इनके अलावा मन्ना डे, वीके मूर्ती, देव आनंद, यश चोपड़ा को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
Source : News State