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अब अरिजीत सिंह की आवाज का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे AI प्लेटफॉर्म्स, बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई रोक

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अब मशहूर हस्तियों की नकल करने वाले AI-जनरेटेड कंटेंट को खतनाक मानते हुए सिंगर अरिजीत सिंह की नकल करने वाले एआई एप पर रोक लगाने का फैसला किया है. 

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Garima Sharma
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Arijit Singh
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल प्लेटफॉर्म को गायक अरिजीत सिंह के व्यक्तित्व अधिकारों का उपयोग करने या उनका शोषण करने से रोकने के लिए एक आदेश जारी किया है. कोर्ट ने सभी संबंधित पोस्ट, कंटेंट और वॉयस कन्वर्जन टूल को हटाने या हटाने का भी आदेश दिया है. 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने लगाई रोक

न्यायमूर्ति रियाज चागला ने सिंह द्वारा दायर मुकदमे के जवाब में यह आदेश जारी किया, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता हिरेन कामोद ने किया, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करने की मांग की. सिंह ने उन प्लेटफॉर्म के खिलाफ निषेधाज्ञा का अनुरोध किया जो उनकी आवाज़ की नकल करने वाली Artificial sound रिकॉर्डिंग को प्रदान करते हैं.

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AI टूल प्लेटफॉर्म लगी रोक

सिंह ने ऐसे आठ प्लेटफ़ॉर्म की पहचान की, जिन पर आरोप है कि उन्होंने AI का इस्तेमाल करके ऐसी सामग्री बनाई जो उनके नाम, आवाज़, गायन शैली, फ़ोटो, छवि, समानता, व्यक्तित्व और उनके व्यक्तित्व के अन्य पहलुओं की नकल करती है. अदालत ने निर्धारित किया कि सिंह ने एकतरफा अंतरिम राहत के लिए प्रथम दृष्टया मामला स्थापित किया था.

न्यायमूर्ति किसे सेंसिटिव बताया

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न्यायमूर्ति छागला ने मशहूर हस्तियों जैसे कलाकारों की अनधिकृत जनरेटिव AI सामग्री के प्रति संवेदनशीलता के बारे में चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, इस न्यायालय की अंतरात्मा को यह देखकर झटका लगा है कि कैसे मशहूर हस्तियां, विशेष रूप से सिंह जैसे कलाकार एआई द्वारा टारगेट किए जाने के प्रति संवेदनशील हैं.

सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व का शोषण

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परसनालिटी की स्वतंत्रता आलोचना और टिप्पणी की अनुमति देती है, लेकिन यह व्यावसायिक लाभ के लिए किसी सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व का शोषण करने की अनुमति नहीं देती है. न्यायालय ने साफ किया कि मशहूर हस्तियां का नाम, फोटो, समानता, आवाज और हस्ताक्षर, को तीसरे पक्ष द्वारा अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग से बचाने के हकदार हैं. 

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न्यायाधीश ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह तकनीकी शोषण न केवल किसी व्यक्ति के अपनी पहचान और आवाज़ को कट्रोल करने और उसकी रक्षा करने के अधिकार का उल्लंघन करता है, बल्कि उनकी पहचान के व्यावसायिक और भ्रामक उपयोग को रोकने की उनकी क्षमता को भी कमज़ोर करता है. उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे प्लेटफ़ॉर्म इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को नकली ध्वनि रिकॉर्डिंग और वीडियो बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. 

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