कभी चुलबुली तो कभी संजीदा अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिलों की धड़कन बनने वाली पद्मिनी कोल्हापुरे आज भी वैसी ही मासूम दिखती हैं. 'वो सात दिन', 'प्रेम रोग', 'सौतन', 'प्रोफेसर की पड़ोसन' जैसी कई फिल्में हैं जो पद्मिनी के अलग-अलग रंग दिखाती हैं. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बहुत नाम कमाया है. आज भी जब किसी इवेंट में शामिल होती हैं तो सभी की नजरें उन पर होती हैं. ऐसी पद्मिनी को एक्टिंग से ज्यादा सिंगिंग में दिलचस्पी थी.
पद्मिनी का संगीत से बहुत ही गहरा रिश्ता रहा है. उनके पिता पंढारीनाथ कोल्हापुरे मशहूर वीणा वादक और शास्त्रीय गायक थे. लता मंगेशकर और आशा भोसले उनकी बूआ लगती थीं. इसलिए संगीत उनके आसपास बचपन से ही था. उन्हें भी सिंगिंग का शौक था लेकिन उन्होंने एक्टिंग में करियर बनाने का फैसला लिया.
कम उम्र में मिला एडल्ट एक्ट्रेस का टैग
पद्मिनी ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक चैलेंजिंग रोल किए. उन्होंने 15 साल की उम्र में भी मैच्योरिटी से सीन को समझा और उसे पर्दे पर उतारा. इसी वजह से उन्हें एडल्ट एक्ट्रेस का टैग मिल गया था. यह काम 1980 में आई फिल्म 'गहराई' के बाद हुआ. इस फिल्म के दौरान पद्मिनी की उम्र महज 15 साल थी और उन्होंने स्क्रीन पर एक न्यूड सीन कर हलचल मचा दी थी. इसके बाद फिल्म 'इंसाफ का तराजू' में उन्हें एक रेप सीन मिला. इस सीन की भी खूब चर्चा हुई थी. इस तरह के सीन का असर पद्मिनी की इमेज पर पड़ा और उन्हें एडल्ट एक्ट्रेस का टैग मिल गया.
बताया जाता है कि पद्मिनी कोल्हापुरे को 'राम तेरी गंगा मैली' में लीड रोल ऑफर हुआ था. लेकिन उन्होंने इस फिल्म को करने से मना कर दिया था क्योंकि वह अपनी इमेज को बदलना चाहती थीं. इसी तरह के बोल्ड सीन करना उस वक्त उनकी हीरोइन वाली इमेज के लिए खराब हो सकता था.