हंसल मेहता, भारतीय सिनेमा के एक ऐसे मेकर और डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अपने बेबाक काम से न केवल प्रशंसा बटोरी है, बल्कि कई बार विवादों का सामना भी किया है. उनकी हालिया प्रोजेक्ट्स, जैसे "स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी" और "फराज़", ने भारतीय समाज के जटिल मुद्दों को सबसे सामने आया है.
धमकियों के बावजूद किया काम
चाहे वह बकिंघम मर्डर्स में कम्युनल मुद्दे हों या अलीगढ़ में LGBTQ+ समुदाय के खिलाफ सामाजिक पूर्वाग्रह, हंसल ने हमेशा सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की है. हालांकि, इस सफर में उन्हें मौत की धमकियों और विरोधों का भी सामना करना पड़ा है.
बाधाएं काम को और मजबूत बनाती
मेहता ने एक एक मीडिया चैनल से खास बातचीत में कहा, "ये कहानियां मुझे इंस्पायर करती हैं. जब भी जर्नी में बाधाएं आती हैं, तो यह धागे को पकड़ने और फिर से शुरू करने का अवसर होता है. उनके अनुसार, धमकियां और बाधाएं उनकी काम के शौली को और मजबूत बनाती हैं.
फिल्म "ये क्या हो रहा है?" बनाई
हंसल मेहता के काम का सफर 2002 में शुरू हुआ, जब उन्होंने "ये क्या हो रहा है?" जैसी कॉमेडी फिल्म बनाई. हालांकि यह फिल्म उनकी सबसे यादगार नहीं मानी जाती, लेकिन उन्होंने भारतीय सिनेमा में आधुनिकता का एक नया रास्ता पेश किया. उनका मानना है कि अतीत पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए.
ओटीटी प्लेटफार्मों पर भी जोर दिया
मेहता ने ओटीटी प्लेटफार्मों के महत्व पर भी जोर दिया. उनका कहना है कि ओटीटी बूम दर्शकों को उन फिल्मों से फिर से जुड़ने में मदद करेगा जो मान्यता की हकदार हैं. उदाहरण के लिए, "फराज़" जब सिनेमाघरों में आई, तो उसे कोई नहीं जानता था, लेकिन नेटफ्लिक्स पर ट्रेंड करने लगी.
एमके गांधी नई सीरीज़ पर काम
वर्तमान में, हंसल मेहता एमके गांधी पर एक नई सीरीज़ पर काम कर रहे हैं, जिसमें प्रतीक गांधी और टॉम फेल्टन लीड रोल में हैं. उन्होंने कहा, "यह शायद मेरे द्वारा शुरू की गई सबसे प्रोजेक्ट्स में से एक है. हंसल मेहता का सफर उन सभी कलाकारों के लिए प्रेरणा है जो अपने विश्वासों के लिए खड़े होते हैं.