फिल्मकार स्टीवन स्पीलबर्ग को बड़े होने के दौरान कई सारी चीजों से शर्म आती थी, उनका कहना है कि उन्हें अपने स्कूल में यहूदी होने के चलते तंग किया जाता था.
उन्होंने इन्हीं सारी पुरानी बातों को याद करते हुए कहा, "यहूदी होने और इसके साथ ही एक ऐसे स्थान पर बड़े होने, जहां यहुदियों की संख्या ज्यादा नहीं थी, न्यू जर्सी एक अच्छी जगह थी, वहां कोई समस्या नहीं थी, तत्पश्चात मैं वेस्टिन चला गया, उस दौरान एक छात्र के रूप में अपने प्राथमिक विद्यालय में मुझे यहूदी-विरोधियों का सामना करना पड़ा. हालांकि पूरे स्कूल में ऐसा नहीं होता था बल्कि स्कूल के कुछ चर्चित बच्चे कम चर्चित बच्चों को चुनते थे और जहां तक रही मेरी बात तो बचपन में मैं बिल्कुल पॉपुलर नहीं था."
उन्होंने आगे कहा, "मैं इसे घृणा के रूप में नहीं देखता था बल्कि मेरे लिए यह शर्मनाक थी. कई चीजों को लेकर मुझे शर्म आती थी और मुझे यहूदी होने पर शर्म महसूस कराने के लिए वह तंज कसते थे और बदमाशियां करते थे. मैं खुद को बहिष्कृत महसूस करने लगा और जब मैं थोड़ा और बड़ा हुआ तब मुझे एहसास हुआ कि स्कूल में इस तरह से किसी बच्चे पर तंज कसना दूसरों को यह एहसास कराना होता है कि वे (बदमाशी करने वाले बच्चे) शक्तिशाली हैं."
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निर्देशक ने यह भी कहा, "मुझे इंसान की शक्तियों का एहसास गलत ढंग से कराया गया और खुद को घृणित महसूस करने का यह मेरा पहला अनुभव था, कुछ ऐसा जिस पर मेरा नियंत्रण नहीं था, कुछ ऐसा जो हमेशा से मेरे अंदर था, मुझे हमेशा से ही यहूदी होने का गर्व था."
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नफरत की इस भावना को लेकर स्पिलबर्ग ने अलेक्स जिबने के साथ डिस्कवरी चैनल के सीरीज 'व्हाय वी हेट' का निर्माण किया. गीता गंडभीर और सैम पोलार्ड द्वारा निर्देशित यह शो नफरत की अवधारणा को समझने जैसे सामाजिक मुद्दों पर गहराई से बात करती है.
Source : IANS