यह एक चलन सा बनता जा रहा है कि ऑस्कर समेत बाफ्टा जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अब राजनीतिक संदेश देने के मंच भी बनते जा रहे हैं. इस बार 'जोकर' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले अभिनेता जे फीनिक्स (JoaQuin Phoenix) ने बाफ्टा (BAFTA) पुरस्कार देने वाली संस्था ब्रिटिश अकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन पर ही नस्लवाद का आरोप जड़ दिया है. उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रेणियों में नामांकन के दौरान 'लोगों का रंग' देखा जा रहा है. ऐसे में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का खिताब जीतने के बावजूद वह ट्रॉफी जीतने में 'दुविधाग्रस्त' महसूस कर रहा हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी तरह तमाम अन्य प्रतिभाशाली कलाकार इस मंच तक पहुंचने में नाकाम रहे. सिर्फ एक खास नस्ल का होने के कारण.
यह भी पढ़ेंः Baaghi 3 Poster: 'बागी 3' से आया टाइगर श्रॉफ का मस्कुलर लुक, इस दिन रिलीज होगा ट्रेलर
'1971' ने बाफ्टा 20 में सात पुरस्कार जीते
ब्रिटिश फिल्मकार सैम मैंडेस की युद्ध आधारित ड्रामा फिल्म '1971' बाफ्टा 2020 में भले ही सात पुरस्कार अपने नाम करने में कामयाब रही, लेकिन अभिनेता जे फीनिक्स का दिल जीतने में नाकाम रही. बाफ्टा में फिल्म 'जोकर' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले फीनिक्स ने फिल्म '1971' के बोलबाले को 'सुनियोजित नस्लवाद' करार दिया. फीनिक्स ने फिल्म जगत पर अश्वेत लोगों का स्वागत ना करने का आरोप लगाया. गौरतलब है कि 'जोकर' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की ट्रॉफी अगर फिनिक्स को मिली है तो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब हॉलीवुड अभिनेत्री रेनी ज़ेल्वेगर ने दिवंगत फिल्म निर्देशक 'जूडी गारलैंड' की बायोपिक 'जूडी' के लिए जीता है.
बाफ्टा-ऑस्कर के नामांकन है विवादों में
गौरतलब है कि 'ब्रिटिश एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन' (बाफ्टा) और 'एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज' (ऑस्कर) के नामांकन की घोषणा के बाद से ही उसके नामांकन में श्वेतों के बोलबाले और विविधता की कमी को लेकर भारी आलोचना की जा रही थी. अभिनय संबंधी श्रेणियों में अश्वेत लोगों के नामांकन की कमी और निर्देशन की श्रेणी में एक भी महिला के ना होने की भी आलोचना की गई.
यह भी पढ़ेंः Thalaivi Look Poster: क्लासिकल डांस करती नजर आईं कंगना रनौत, 'थलाइवी' से नया लुक रिलीज
फीनिक्स ने दिया यह बयान
फीनिक्स ने 'रॉयल एल्बर्ट हॉल' के मंच से कहा, 'चाहते हैं कि उन्हें उनके काम के लिए पहचाना, सराहा और सम्मान दिया जाए. यह खुद अपनी निंदा करने जैसा नहीं है क्योंकि मुझे यह कहते हुए शर्म आ रही है कि मैं भी इस समस्या का हिस्सा हूं. मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं किया कि मैं जिस सेट पर काम कर रहा हूं वह समावेशी हो... बल्कि मेरा मानना है कि इन सेट का सभी संस्कृतियों का स्वागत करने वाला होना चाहिए. हमें सुनियोजित नस्लवाद समझने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है.'
Source : News State