जीतू भैया को शायद ही ऐसा कोई होगा, जो उन्हें ना जानता होगा. हाल ही में उन्होंने अपने बचपन के दिन को याद किया. जिसमें उन्होंने बताया कि एक टाइम ऐसा भी आया कि जब वह झोपड़ी में रहते थे. आज बेसक उनकी नेटवर्थ करोड़ों में हो, लेकिन उनकी लाइफ में एक दिन ऐसा भी आया था. जब उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में 40 रुपये के लिए मजदूरी की थी.
झोपड़ी में रहता था पूरा परिवार
हाल ही में जितेंद्र से 'साइरस ब्रोचा' के साथ एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या उन्हें अपना पहला घर याद है. इस पर उन्होंने बताया कि उनका जन्म राजस्थान के अलवर के खैरथल में हुआ था और वह जंगल में एक झोपड़ी में रहते थे. “जंगल में हमारी एक झोपड़ी थी. हमारा पूरा परिवार वहीं रहता था. हमारे पास एक पक्का मकान और एक झोपड़ी थी. मुझे वहां बड़ा अजीब महसूस होता था.मेरे चाचा और पिता सिविल इंजीनियर हैं और मैं भी हूँ. हमारे मकान में दो और कमरे बनने थे. इसलिए, हम छह-सात महीने तक एक झोपड़ी में रहे''.
40 रुपये के लिए की दिहाड़ी
इसके बाद उन्होंने बताया कि गर्मी की छुट्टियों के टाइम में वह पैसों के लिए पेंटर या फिर बढ़ई के साथ काम करते थे. मैं रोजाना 40 रुपये में काम करता था. फिर जब मेरे पापा को पता चलता तो वो मुझे डांटते थे. मैं लगभग 11-12 साल का था और लोगों की मदद करता था. इसलिए, मैंने नए सिरे से घर बनते हुए देखे है और मैं उनका हिस्सा भी रहा हूं.
जीतू भैया का रोल किया
एक्टर ने 'आईआईटी खड़गपुर' से सिविल इंजीनियरिंग की है. इसके बाद उन्होंने 'कोटा फैक्ट्री' में कोचिंग टीचर जीतू भैया का रोल किया और लोगों का दिल जीत लिया. उनका रोल देश भर के कई आईआईटी स्टूडेंटस को काफी पसंद आया, जिन्होंने जितेंद्र को अपने रियल लाइफ में प्रोफेसर के रूप में सराहा.
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