किशोर कुमार सिनेमा की दुनिया में एक ऐसा नाम हैं, जिन्हें सिंगिंग, एक्टिंग, फिल्म मेकिंग और कुछ भी करते थे. वो कहावत है ना नाम एक काम अनेक, किशोर दा के लिए ये बिल्कुल सटीक है. उन्होंने नंबर वन गायक के तौर पर 19 साल तक राज किया. हालांकि, किशोर कुमार का पहला प्यार फिल्म मेकिंग था.
किशोर कुमार का पहला प्यार फिल्म मेकिंग
दरअसल, जब वे छोटे थे, तब उनके पास 8 मिमी का कैमरा था, जिससे वे रोजाना के पलों को फिल्माते रहते थे. बाद में किशोर कुमार को हॉलीवुड की फिल्में इकट्ठा करने का शौक हो गया. उनके पास जेम्स बॉन्ड और अल्फ्रेड हिचकॉक की फिल्मों का शानदार कलेक्शन हो गया.
16 मिमी प्रोजेक्टर की मदद से फिल्में देखते हैं
यंग एज में वे 40 से 70 के दशक की फिल्में किराए पर लेते थे और घर पर अपने 16 मिमी प्रोजेक्टर की मदद से उन्हें देखते थे. एक कहानी है कि 80 के दशक की शुरुआत में एक बार किशोर दा अमेरिका में एक वीडियो शेक में गए, जहां से वे लगातार कैसेट खरीदते रहते थे. कुल मिलाकर उन्होंने 8000 डॉलर की वीसीडी खरीदीं.
जब किशोर कुमार फिल्मी हस्ती एडी मर्फी से मिले
तब तक मालिक को उनकी पहचान समझ में आ गई थी. तभी मशहूर संगीतकार और फिल्मी हस्ती एडी मर्फी वहां आ गए. शेक के मालिक ने किशोर दा को ‘भारत के फ्रैंक सिनात्रा’ के रूप में उनसे मिलवाया था.
पहली निर्देशित फिल्म दूर गगन की छांव बनाई
साल 1960 तक किशोर कुमार बतौर गायक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुके थे और बतौर अभिनेता भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके थे. उन्होंने निर्देशन में उतरने का सोचा. सब कुछ तय हो गया और साल 1964 में किशोर कुमार की पहली निर्देशित फिल्म दूर गगन की छांव बड़े पर्दे पर रिलीज हुई. यह फिल्म हॉलीवुड की एक मशहूर फिल्म से प्रेरित थी.
हॉलीवुड फिल्म से इंस्पायर थी किशोर दा की फिल्म
यह फिल्म लोकप्रिय हॉलीवुड फिल्म द प्राउड रिबेल से प्रेरित थी, जो वर्ष 1958 में अंग्रेजी सिनेमा में रिलीज हुई थी. ये किशोर दा की हमेशा से पसंदीदा रही हैं, जैसा कि उनके बेटे अमित कुमार ने एक बार बताया था. जबकि गैरी कूपर उनके पसंदीदा अभिनेता थे और मार्लन ब्रैंडो उनके आदर्श थे. वास्तव में, ब्रैंडो और किशोर दा के बीच एक मुलाक़ात की भी योजना बनाई गई थी. लेकिन उसी साल 1987 में किशोर दा का निधन हो गया.