Kritika Kamra Exclusive, Report: Sushma Pandey: टीवी इंडस्ट्री से शोबीज की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने बॉलीवुड से लेकर ओटीटी में अपना नाम बनाया है. कृतिका कामरा जी 5 पर रिलीज हुई सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' (Gyaarah Gyaarah) का अहम हिस्सा हैं. एक्ट्रेस ने अपनी इस सीरीज को लेकर न्यूज नेशन से खास बातचीत की. इस दौरान कृतिका ने ग्यारह ग्यारह सीरीज के बनने की कहानी, अपने को-स्टार राघव जुयाल (Raghav Juyal) के साथ बॉन्डिंग पर बात की. इसके अलवा कृतिका ने टीवी,ओटीटी और सिनेमा के वर्क कल्चर पर कई सारे खुलासे किए.
सवाल: पहले तो बहुत बहुत बधाई. फाइनली टीवी की आरोही से आप वामिका रावत बन गई हैं. बहुत खुशी है की आपकी ये जो जर्नी है, हमने बहुत करीब से देखी है, बॉलीवुड में डेब्यू और अब ओटीटी पर कमाल देख रहे हैं. इस जर्नी को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी?
जवाब : ये जो दिन है ना, बहुत अच्छा जा रहा है मेरे लिए क्योंकि जैसे कि आपने कहा अभी मेरी बात हो रही है आपसे, आपने मेरी जर्नी शुरू से देखी है और आप आरोही को भी जानते हैं. अब आप वामिका रावत को जानने वाले हैं? मुझे बहुत ऐसे कम मौके मिलते हैं. हम जनरली अपना काम करते हैं, सोशल मीडिया पर चीजें पढ़ते हैं, पर कम मौके में करते हैं. बात करने के जब मतलब सही में सपोर्टर से और यू नो जिन्होंने काम देखा है उनसे बात हो पाए तो आप मुझे बताइए पहले तो कि आपको क्या लगता है? कैसा जा रहा है?
सवाल: आपकी जर्नी शानदार चल रही है. मैंने बंबई मेरी जान देखी थी, उसमें जो आपका रोल था उसके बाद मैं वेट कर रही थी कि आप जल्द एक लीड रोल में नजर आए और वामिका का जो रोल है, थोड़ा बहुत जो ट्रेलर में हमें हिंट मिला है. लेकिन मैं चाहूँगी कुछ आप एक्सक्लूसिव बोले, आपकी इस सीरीज में आपके रोल कितना ज्यादा महत्वपूर्ण है?
जवाब: जैसे कि आपने कहा मैं पिछली रिलीज़ बंबई मेरी जान पर मैं गैंगस्टर का रोल प्ले कर रही थी. उसके बाद मेरे पास जब ये मौका आया पुलिस ऑफिसर का रोल प्ले करने का तो मुझे लगा कि ये बहुत ही इंटरेस्टिंग रहेगा कि अब कानून के इस तरफ सही तरफ भी आकर कुछ किया जाए. वर्दी पहन कर देखा जाए, कैसा लगता है? बहुत सुना था मैंने एक्टर्स से की वर्दी में कुछ बात होती है जब आप पहनेंगे तो बहुत आपको गर्व महसूस होता है. बहुत जिम्मेदारी आ जाती है, जो कि बिल्कुल सच है. इस शो ने मुझे एक एक्टर के तौर पर बहुत ही बड़ा कैनवास दिया है. इसमें मेरा जो कैरेक्टर है, उसमें आपको कई शेड्स देखने को मिलेंगे. क्योंकि मैं पास की टाइमलाइन में भी हूं. मैं प्रेसिडेंट की टाइमलाइन में भी हूं. मैं यंग भी हूं, फिर मैं थोड़ी मेच्युर भी हूं और उसके बीच में जो कुछ भी हो रहा है, मेरी प्रोफेशनल लाइफ में पर्सनालिटी में वो सब आपको देखने को मिलेगाय
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सवाल : ये सीरीज 'ग्यारह ग्यारह' कोरियन ड्रामा सिग्मा का रीमेक है. कुछ एक प्रेशर रहता है कि आप जब किसी एक सीरीज को अडॉप्ट करते हैं, कि आपको थोड़ा और अच्छा करके देना है ताकि ऑडिएंस एक्सेप्ट करें.
जवाब: ये बहुत ही एक बहुत ही हिट शो है, तो हम तो जानते हैं कि बहुत लोगों ने देखा होगा. उसके बावजूद उसको बनाने का डिसीजन इसलिए लिया गया है क्योंकि उस कहानी में उतना दम है. इस कहानी को दुबारा कहा जा सकता है और जैसे ही आप कोरिया की हम चीजे देखते है क्योंकि हम उन स्टोरी की एमोशनल डेथ को पसंद करते है पर यहां पर हमने उसी चीज को उसकी इमोशनल डेथ और केस को मध्य नजर रखते हुए इंडियन कर दिया है. हमारी कहानी उत्तराखंड में बेस्ड है. हमारे कैरेक्टर उत्तराखंड के हैं. हमारे करैक्टर्स आपकी मेरी तरह बात करते हैं. उनके जो रिलेशनशिप हैं, उनकी फैमली हमारी तरह हैं. तो जब आप किरदारों को इंडियन कर देते हैं तो वो स्टोरी एकदम से फ्रेश हो जाती है.
सवाल : फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म की बहस अक्सर छिड़ती है. काफी लंबे टाइम से आप इंडस्ट्री में हैं, टेलीविज़न में थी और फिर इतनी लॉन्ग जर्नी आपने तय की है. अगर आपका बॉलीवुड में कोई बैकग्राउंड होता तो जो रोल आपको अभी मिल रहे हैं वो रोल पहले मिल सकते थे.आपको लगता है कि नेपोटिज्म का इंडस्ट्री में तगड़ा इम्पैक्ट है?
जवाब: देखिए, ये नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म का वही फायदा है जो हर किसी इंडस्ट्री में है. अगर आपके मां-बाप कोई काम करते हो और आप वो करना शुरू करें तो आपके पास बाकियों से एक एडवांटेज तो रहेगा ही भले ही आपको रोल डाइरेक्टली ना मिले. बल्कि मुझे लगता है कि जो रोल मैं खुद अपने ऑडिशन से जीतती हूं, मुझे वो और ज्यादा बढ़िया लगता है. मुझे बहुत खुशी होती है और इस चीज में बहुत टाइम भी लगता है और उस टाइम पर अपने आप को काम रखने में कई बार मुश्किल होती है. लेकिन जब वो चीज पूरी होती है जब वो रोल आपको मिलता है क्योंकि आपकी काबिलियत है. इसलिए उसका स्वाद अलग ही होता है और मुझे अब उस स्वाद की आदत हो गई है .
सवाल: कृतिका, जी फाइव पर आई अपनी सीरीज ग्यारह ग्यारह को लेकर ऑडियंस से क्या कहना चाहेंगी?
जवाब: मैं खुद जिस तरह की ऑडियंस हूं ना बिंज वॉच करने वाली ऑडियंस, मुझसे ना वो नहीं होता कि हर हफ्ते एक-एक एपिसोड आएगा. मैं नहीं इंतजार कर सकती, मुझे अगला दिखाइए. मैं बिल्कुल कॉन्फिडेंस के साथ कह सकती हूं कि इसमें वो बात है कि आप एक बार देखना शुरू करेंगे तो आप उसको बंद नहीं कर पाएंगे और ऐसा हमें फीडबैक भी मिला है. तो जो लोग मेरी तरह इस तरह का कंटेंट पसंद करते हैं, मतलब आप भूल जाते हैं खाना पीना और आप देखने लगते हैं तो ये उस ऑडियंस के लिए है, और अरिजीत सिंह का प्यारा सा गाना भी है.
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