लता मंगेशकर ये सिर्फ एक नाम नहीं है इस नाम में एक युग है जो आने वाली पीढ़ियों को हमेशा याद रहेगा और अपने गानों से हमेशा ही लता मंगेशकर लोगों के बीच रहेंगी. लता नाम का मतलब ही होता है बेल और लता मंगेशकर ने अपने नाम को अपनी जिंदगी में ही उतार लिया था. स्वर कोकिला, स्वर सम्राज्ञी, लता दी, मां….और न जाने कितने नामों से उन्हे पुकारा जाता था. लता मंगेशकर, गायकी की दुनिया का एक ऐसा नाम है, जो हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगा…उनकी एक अधूरी ख्वाहिश परिवार के लोगों ने उनकी मौत के 611 दिन बाद पूरी कर दी थी. अपनी इस इच्छा का जिक्र लता मंगेशकर ने अपनी वसीयत में भी किया था. इस इच्छा को वो अपने जीवित रहते पूरा करना चाहती थीं, लेकिन ऐसा हो न सका.
क्या थी लता दी की अंतीम इच्छा
लता दीदी अपनी इच्छा के अनुरूप तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को 10 लाख रुपये दान करना चाहती थीं. इसका जिक्र उन्होंने अपनी वसीयत में भी किया था. हालांकि अब उनकी आखरी इच्छा उनके परिवार ने पूरी कर दी है. परिवार ने लता दीदी की ओर से तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को दस लाख रुपए की राशि दान दी है. परिवार के सदस्यों ने एक पत्र के माध्यम से तिरुपति ट्रस्ट को सूचित किया कि लता मंगेशकर ने अपनी “वसीयत” में अपने निधन के बाद टीटीडी को 10 लाख रुपये की राशि दान करने की इच्छा जताई थी और यह दान अब उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार तिरूपति ट्रस्ट को दे दिया गई है.
इस इंसान ने की इच्छा पूरी
लता मंगेशकर की बहन उषा मंगेशकर दान देने के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के मुंबई प्रतिनिधि मिलिंद केशव नार्वेकर मिलीं. उन्होंने मिलिंद से अनुरोध किया कि वे उनकी ओर से अपना दान तिरुपति ट्रस्ट को सौंप दें.परिवार के अनुरोध के बाद, टीटीडी बोर्ड के सदस्य मिलिंद नार्वेकर ने सोमवार को तिरुमाला में अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी की उपस्थिति में टीटीडी ईओ एवी धर्म रेड्डी को दान दिया था.
पिछले साल हुई थी सिंगर की मौत
प्रसिद्ध गायक और संगीतकार लता दी भगवान बालाजी की भक्त थीं और उन्होंने अतीत में तिरुपति ट्रस्ट के दरबारी संगीतकार के रूप में भी काम किया था. स्वर कोकिला के नाम से मशहूर जानी-मानी गायिका लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रहीं. भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत नायिका ने पिछले साल छह फरवरी को 92 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली थी.
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