Mohammed Rafi Death Anniversary: भारतीय संस्कृति में संगीत का बड़ा योगदान है. भारतीय सिनेमा और आर्ट संगीत के बिना अधूरी है. हमारे बीच कई ऐसे गायक और संगीतकार हुए जो अपने आप में दिग्गज माने जाते हैं. इनमें हिंदी सिनेमा के सबसे महान सिंगर मोहम्मद रफी का नाम भी शामिल हैं. उन्हें भारत का अनमोल रत्न और सदी का बेहतरीन गायक माना जाता था. 31 जुलाई को हर साल मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि मनाई जाती है. आज से 44 साल पहले 31 जुलाई उनका निधन हो गया था. पुण्यतिथि पर हम आपको रफी साहब और लता मंगेशकर की जोड़ी हिट होने और उनके बीच एक लंबे विवाद की दिलचस्प कहानी बता रहे हैं.
साथ में गाए 400 से ज्यादा गाने
मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर दो ऐसे गायक हैं जिन्हें देश के बेहतरीन कलाकारों में गिना जाता है. दोनों ने साथ में करीब 400 से ज्यादा गाने गाए थे. ये जोड़ी म्यूजिक इंडस्ट्री की सबसे हिट और बेस्ट जोड़ी मानी जाती थी.उन्होंने भारतीय सिनेमा को कई ऐसे सदाबहार गाने दिए हैं जो आज भी हिट हैं.
दिए ऐसे सदाबहार ब्लॉकबस्टर हिट ट्रैक
मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर के हर गाने को दर्शकों का अपार प्यार मिला है. इनके गाए गीतों में देखो रूठा ना करो, वो जब याद आए बहुत याद आए, दिल पुकारे आरे आरे, वो हैं ज़रा खफा खफा, झिलमिल सितारों आंगन होगा, तेरी बिंदिया रे, चलो दिलदार चलो जैसे ब्लॉकबस्टर गाने शामिल हैं.
जोड़ी भी हिट और दोस्ती भी हिट
लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी की जोड़ी के अलावा दोनों की दोस्ती के भी खूब चर्चा थे. दोनों एक-दूसरे के काम के लिए बहुत सम्मान करते थे. गाने हिट हो जाने पर एक-दूसरे को क्रेडिट देते थे. इनकी दोस्ती कई सालों तक चली. हालांकि, फिर ऐसा झगड़ा हुआ कि दोनों ने एक-दूसरे के साथ कभी काम न करने की कसम खा ली.
रॉयल्टी के मुद्दे ने डाली खटास
1960 में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच एक बहस ने उनके बीच दोस्ती खत्म कर दी. 1960 में लता मंगेशकर समेत कुछ सिंगर्स ने गानों में गायकों को मिलने वाली रॉयल्टी के मुद्दे को उठाया था. हालालंकि, रफी साहब इससे सहमत नहीं थे. उस समय, गायकों को रिकॉर्डिंग लेबल से उनके द्वारा गाए जाने वाले गीतों के लिए कोई रॉयल्टी नहीं मिल रही थी. यही कारण था कि लता मंगेशकर ने खुद के लिए और अन्य गायकों के लिए एक स्टैंड लेने का फैसला किया. जब लता मंगेशकर ने अपने गाए गानों के लिए रॉयल्टी की मांग की, तो किशोर कुमार, मन्ना डे, तलत महमूद, मुकेश जैसे कई मशहूर गायकों ने उनका समर्थन किया.
आशा भोंसले बहन के खिलाफ खड़ी हो गईं
हालांकि, रॉयल्टी के पक्ष में केवल कुछ ही लोग थे और सबसे बड़ा नाम जो लता के विचार के खिलाफ था, वह था मोहम्मद रफी थे. ऐसे में इंडस्ट्री दो खेमों में बंट गई थी. लता मंगेशकर की बहन आशा भोसले ने भी बहन के खिलाफ जाकर मोहम्मद रफ़ी को सपोर्ट कियाय अपनी ही बहन के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी, तो चीज़ें बिल्कुल अलग हो गईं.
एसडी बर्मन ने खत्म करवाया दोनों का झगड़ा
इस मुद्दे के बाद रफी साहब ने भरी सभा में ऐलान कर दिया कि वो जिंदगी में कभी लता मंगेशकर के साथ काम नहीं करेंगे. न ही भविष्य में कोई गीत जाएंगे. लता मंगेशकर ने भी गुस्से में आकर यही कसम खाई. दोनों की दोस्ती टूट गई और 1963 से 1967 उन्होंने साथ में गाना नहीं गाया. आखिरकार एसडी बर्मन के समझाने के बाद दोनों ने दोबारा दोस्ती की. झगड़ा खत्म करने के बाद रफी साहब ने लता मंगेशकर के साथ दिल पुकारे गाना गाया जो जबरदस्त हिट हुआ था.